पटना ब्‍यूरो। रंगों का त्योहार होली हर किसी के लिए खास है। पटना में होली पर्व को लेकर मारवाड़ी समाज की महिलाएं खास परंपरा निभाते हुए विधि विधान से पूजा पाठ करती हैं और समाज की सुख समृद्धि और शांति के लिए कामना करती हैं। मारवाड़ी महिलाएं इसे बड़कुल्ला कहती हैं। होलिका दहन स्थल पर होलिका पूजा के साथ ढाल के स्थापित कर 51 बार परिक्रमा कर होली पर्व पर इसकी पूजा की जाती है। दिनभर व्रत रहने के बाद शाम को फिर इसकी पूजा कर महिलाओं द्वारा व्रत तोड़ा गया।

मारवाड़ी समाज के अमर अग्रवाल ने एक्जीविशन रोड पर बनाई गई होलिका के पास बताया कि समाज की काफी अधिक महिलाएं यहां पर ठंडी पूजा करने प्रत्येक वर्ष पहुंचती है। मौके पर समाज की शकुंतला अग्रवाल ने बताया कि इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती है। घर मे पूजा पाठ करने के बाद होलिका के पास आकर पूजा पाठ करती हैं। होलिका दहन के दिन होलिका में केले का पौधा लगाती हैं तथा होलिका जलाने से पूर्व केले के पौधे को निकाल देती हैं। शकुंतला जी ने बताया कि जिस तरह हिन्दू में महिलाएं पुत्र के लिए जिउतिया पर्व रखती हैं उसी तरह मारवाड़ी महिलाएं ठंडी होली में होलिका के पास पूजा करती हैं। महिलाएं सामूहिक रूप से होलिका के चारों ओर परिक्रमा करते हुए कलावा लपेटती हैं। संध्या में पूजन के बाद अपना उपवास समाप्त करती हैं। शकुंतला अग्रवाल ने बताया कि होलिका जलने के बाद जो अपना उपवास समाप्त करती हैं उसे गर्म होली कहते हैं।

होलिका पूजन की है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार होलिका मां ने प्रहलाद की रक्षा की थी। हम भी मां से अपने बेटे की रक्षा और दीर्घायु की कामना के लिए यह पूजा-पाठ करते हैं। एक और महिला ने बताया हम सब व्रत रहते हैं और 15 दिनों तक यह पूजा-पाठ चलता है.वहीं यह भी मान्यता है कि शादी के बाद की पहली होली बहुत खास होती है। पहली होली लड़की अपने मायके में मनाती है और गणगौर की पूजा करने के बाद ससुराल वापस जाती है। नवविवाहिता ठंडी अग्नि की पूजा करती हैं। फेरे लेती हैं और अपने और परिवार के सुखमय जीवन की कामना भी करती हैं।