पटना (ब्यूरो)।व्यावहारिक और उद्देश्यपूर्ण नवाचार पर जोर देने वाली इस प्रक्रिया में रिसर्चर और वैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ये बातें सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कही। वे आईआईटी पटना में ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन में भू-तकनीकी मुद्दों पर आयोजित तीन दिवसीय दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीईआईडी 2024) के समापन समारोह में कही। उन्होंने आगे एकजुट भविष्य की अवधारणा की कल्पना की, जहां एक पृथ्वी, एक भविष्य, एक परिवार मिलकर बेहतर कल का निर्माण करेगा और भारत 2047 तक दुनिया का नेतृत्व करेगा.
धनबाद समेत कई जगहों से आए एक्सपर्ट
आईआईटी पटना के सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च धनबाद, झारखंड और जियोट्रोपिक, यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी, मलेशिया ने संयुक्त रूप से ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन में भू-तकनीकी मुद्दों पर अत्यधिक सफल दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की। राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य की उपस्थिति से इस कार्यक्रम में आईआईटी पटना के डायरेक्टर प्रोफेसर टीएन सिंह के असाधारण नेतृत्व में एक्सपर्ट साइंटिस्ट और रिसर्च करने वाले लोगों ने पार्टिसिपेट किया.
ढलान पर रिसर्च
कानफ्रेंस में 17 कीनोट वक्ताओं, 14 थीम वक्ताओं और 10 उद्योग विशेषज्ञों की प्रस्तुतियों की एक शानदार श्रृंखला शामिल थी। सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान अस्थिरता को रोकने के समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस सम्मेलन में दुनिया भर से 165 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। उत्कृष्ट योगदान की सरहाना करते हुए, सर्वश्रेष्ठ पेपर का पुरस्कार अभिषेक दत्ता (आईआईटी (आईएसएम), धनबाद), अंकिता सोनकर (डीटीयू), चिन्मय सेठी (सीएसआईआर-सीआईएमएफआर, एसीएसआईआर), ऋषभ द्विवेदी (आईआईटी बॉम्बे), मोहम्मद अनीसुर रहमान, अमित जयसवाल, और सौरभ चक्रवर्ती (सभी आईआईटी पटना)को प्रदान किया गया। जानकारी हो कि आईआईटी पटना में ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन में भू-तकनीकी मुद्दों पर दूसरे अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन से इस क्षेत्र में ज्ञान की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और भविष्य के प्रयासों के लिए सकारात्मक दिशा तय की है.