पटना (ब्यूरो)। नववर्ष के प्रथम दिन जश्न मनाने के लिए राजधानीवासियों की भीड़ पिकनिक स्पाटों पर उमड़ी पड़ी। राजधानीवाटिका (ईको पार्क) में 40 हजार 116 दर्शक भ्रमण के लिए पहुंचे, जबकि संजय गांधी जैविक उद्यान में 39 हजार 394 दर्शकों ने वन्य प्राणियों के बीच नववर्ष का जश्न मनाया। इसमें 6,559 ब'चे थे। चिडय़ाघर ने अपने ही रिकार्ड को तोड़ दिया है। अब तक सबसे अधिक 35 हजार दर्शक जू पहुंचे थे। कोरोना के कारण लगातार दो साल नववर्ष के पहले दिन चिडिय़ाघर बंद था। इसके साथ ही शहर के 100 से अधिक पार्कों में भी जश्न सा महौल था।


संजय गांधी जैविक उद्यान में कड़ाके की ठंड के बीच सुबह नौ बजे से पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। 11.00 बजे तक गेट संख्या एक पर टिकट लेने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग गईं। भीड़ नियंत्रण में चिडिय़ाघर प्रशासन के पसीने छूट गए। तीन प्रवेश द्वार रहने के बाद भी अंदर प्रवेश करने के लिए कतारें लगी रहीं। गेट संख्या दो पर स्थिति नियंत्रित रही। वन्य प्राणी खुले थे। ब'चे, युवा, वृद्ध यानी सभी उम्र के लोग वन्य प्राणियों को

देखने के साथ जश्न मनाए
भालू आकर्षण का केंद्र बना रहा। पेड़ पर चढ़ते एवं उतरते नजर आ रहा था। शेर, बाघ, हिरण, घडिय़ाल, जिराफ, गैंडा, हिप्पो आदि भी आकर्षण के केंद्र रहे। नौकायान, मछलीघर, निशाचर भवन, गोल्फकार्ट आदि बंद थे। चिडय़ाघर कर्मी जगह-जगह तैनात रहे। जिला प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी। संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक सत्यजीत कुमार ने बताया कि 36.40 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। भीड़ नियंत्रण के लिए व्यस्क का 100 रुपये और ब'चे का 50 रुपये का प्रवेश टिकट था।

राजधानी वाटिका के तीनों पार्कों में जमकर हुई मस्ती
राजधानी वाटिका के तीनों पार्कों में दर्शक मस्ती करते रहे। 40 हजार 116 दर्शक पहुंचे थे। बड़ी संख्या में लोग घर से बना-बनाया भोजन लेकर पहुंचे थे। ब'चे खेल रहे थे और बड़े धूप में बैठकर गुनगुने धूप का आनंद उठाते नजर आए। पार्क थ्री में पहाड़ी झरना आकर्षण का केंद्र बना रहा। राजधानीवाटिका में पांच स्थानों से प्रवेश दिया गया। पार्क प्रमंडल के डीएफओ शशिकांत ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे से भी निगरानी की गई। सभी पार्कों पर नजर रखने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित की गई थी। जश्न मनाने वालों को परेशानी नहीं हुई। एक दर्जन पार्क में टिकट से तथा अन्य पार्कों में नि:शुल्क भ्रमण की सुविधा थी।