खुद दे दी थी सुपरस्टार की पदवी अमिताभ बच्चन को
लंबे समय से फिल्मों में काम करने के बाद इंडस्ट्री का ये वो दौर था, जब फिल्म 'नमक हराम' पर्दे पर रिलीज होने वाली थी। ये वह फिल्म थी जब बॉलीवुड में शक्ित संतुलन राजेश खन्ना से वाकई अमिताभ बच्चन की ओर सरकने की शुरुआत हो गई। अन्य किसी को तो बात दूर की है, उस समय खुद राजेश खन्ना का यही मानना था। इस राज पर से पर्दा कई सालों बाद दिए एक इंटरव्यू में खुद काका ने उठाया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने लिबर्टी सिनेमा में 'नमक हराम' का ट्रायल शो देखा, तभी वह समझ चुके थे कि अब उनका दौर खत्म हो गया। उन्होंने तुरंत ही ऋषि दा से कहा कि लो, ये रहा कल का सुपरस्टार।

जतिन खन्ना से यूं बने राजेश खन्ना  
राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। खन्ना दंपत्ति, जो जतिन के वास्तविक माता-पिता के रिश्तेदार थे, उन्होंने इस बच्चे को गोद ले लिया। उसके बाद जतिन ने मुंबई स्थित गिरगांव के सेंट सेबेस्टियन हाईस्कूल में एडमिशन लिया। यहां उनके सहपाठी थे रवि कपूर। ये रवि कपूर ही आगे चलकर जितेंद्र के नाम से मशहूर हुए।

काका के स्ट्रगल को देख उड़ जाते थे बड़े बड़ों के होश
स्ट्रगल के दिनों में भी इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना अपनी MG स्पोर्ट्स कार में घूमते थे। उनके ठाठ-बाट देखकर बड़े-बड़े स्टार्स के होश उड़ जाते थे। राजेश खन्ना की पहली फिल्म 'आखिरी खत' भारत की तरफ से ऐसी पहली फिल्म थी, जिसे ऑस्कर में एंट्री मिली थी।

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