हां पेश हैं ऐसी पांच तस्वीरें जिन्होंने एक तीव्र बहस को जन्म दिया है.

Dove Real Beauty Campaign used real women rather than models

The Dove Real Beauty Campaign used real women rather than models to spread their message of self-acceptance.

डव का रियल ब्यूटी विज्ञापन

कई लोगों ने इसे एक नायाब विचार बताया कि सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों के विज्ञापनों में खूबसूरत मॉडल्स की जगह असली महिलाओं को जगह दी जाए.

डव रियल ब्यूटी प्रचार मुहिम की शुरुआत 2004 में की गई और इससे उसकी बिक्री बढ़ी. विज्ञापनों में महिलाओं को अपनी जैसी काया वाली महिलाएं देखने को मिलीं.

त्वचा की देखभाल से जुड़े उत्पाद बनाने वाली इस कंपनी का लक्ष्य साफ था कि महिलाओं के अंदर अपने शरीर को लेकर आत्मविश्वास जगाया जाए.

अध्यापक एमा डारविश ने (तस्वीर में सबसे दाएं) टाइम आउट पत्रिका में छपे एक विज्ञापन को देख कर डव की इस प्रचार मुहिम का हिस्सा बनने की सोची. जब ये प्रचार मुहिम पहली बार शुरू हुई तो डारविश एक कॉलेज में प्राध्यापक थीं.

वो बताती हैं, “मैं 16 से 17 वर्ष उम्र के छात्रों को एक स्टूडियो में वोकल तकनीकों के बारे में पढ़ाती थी और उसके बाहर मेरी बड़ी सी तस्वीर लगी थी वो भी अंतर्वस्त्रों में. इसके बाद कई हफ्तों तक लोग बार बार ये तस्वीरें देखते और मुझे आकर बताते थे. लेकिन मुझे खूब मजा आया और अच्छा लगा.”

वैसे डारविश मानती है कि पहली बार इस प्रचार अभियान के लिए उन्हें अंतर्वस्त्रों में तस्वीरें खिंचवाना थोड़ा अटपटा तो लगा था.

वो चाहती हैं कि विज्ञापनों और फैशन पत्रिकाओं में ज्यादा से ज्यादा साधारण महिलाओं को दिखाया जाना चाहिए.

वो कहती हैं, “हम पर मीडिया में दिखाई जाने वाली ऐसी महिलाओं की तस्वीरों की बमबारी होती रहती है कि जिनकी तरह बनना आम महिलाओं के लिए मुमकिन ही नहीं है. सबसे चिंता वाली बात ये है कि ये तस्वीरें हमारे युवाओं पर बहुत असर डालती हैं.”

लेकिन कुछ लोग डव पर पाखंडी होने का आरोप भी लगा सकते हैं क्योंकि एक तरफ तो डव आम विविध सुदंरता को दिखा रहा है, लेकिन साथ ही ऐसी क्रीम का प्रचार भी कर रहा है जो चर्बी के कारण त्वचा के थुलथुला होने की समस्या को दूर करने का दावा करती है.

Former paralympic ski racer Josh Sundquist

Former paralympic ski racer, Josh Sundquist, poses in before and after pictures that went viral on twitter.

जोश संडक्विस्ट

हो सकता है कि आपने भी ट्विटर पर पूर्व पैरालंपिक खिलाड़ी जोश संडक्विस्ट की तस्वीर देखी हो. इसमें उनकी दो तस्वीरें ‘पहले और बाद में’ वाले अंदाज में दिखाई गई हैं.

बाईं तस्वीर में एक सामान्य डील डौल वाला युवक दिख रहा है जिसकी एक टांग नहीं है जबकि दाईं तस्वीर में उसी युवक की कसरती और गठीले बदन वाली तस्वीर है.

इस तस्वीर को लेकर बहुत बहस हुई कि ये कहां से आई है, क्या वे वाकई असली है. फोटोशॉप सॉफ्टवेयर के कुछ "जानकार" बताते हैं कि ये तस्वीर बनावटी हो सकती है.

संडक्विस्ट इस बात पर हताशा जताते हैं.

सैंडक्विस्ट को आठ साल की उम्र में बोन कैंसर हो गया था और इसके एक साल बाद उन्हें अपनी बाईं टांग गंवानी पड़ी. बचपन में वो खुद को लेकर इतने संकोच में थे कि स्विमिंग पूल में जाने से कतराते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वहां लोग उन्हें ही घूरेंगे.

स्कीइंग से सन्यास लेने के बाद संडक्विस्ट अपना कुछ वजन घटाना चाहते थे और वो 'बॉडी फॉर लाइफ' नाम की एक प्रतियोगिता का हिस्सा बने. इसमें सभी प्रतियोगियों से अपनी ‘पहली और बाद में’ वाली तस्वीरें लेने को कहा गया. ये तस्वीर खिंचाने से पहले संडक्विस्ट ने 12 हफ्तों तक जम कर कसरत की.

संडक्विस्ट कहते हैं, “मेरी बॉडी फॉर लाइफ तस्वीर की दिलचस्प बात ये है कि मेरी फिटनेस ऐसी हो गई थी जैसी कोई पुरूष पाने की सोच सकता है, लेकिन साथ ही उसमें शरीर का वो एक चौथाई हिस्सा नहीं है जो होना चाहिए.”

हालांकि ये तस्वीर 2006 में ली गई लेकिन सोशल मीडिया पर इसे शोहरत पिछले 12 महीनों के दौरान ही मिली है.

संडक्विस्ट बताते हैं, “पता है ज्यादातर लोग क्या टिप्पणी करते हैं, यही कि ‘क्या बात है, अगर ये आदमी एक टांग के साथ इतना कुछ कर सकता है और इतना अच्छा शरीर बना सकता है तो मेरे पास कोई बहाना नहीं होना चाहिए क्योंकि मेरी तो दोनों टांगे हैं.’ इसलिए मैं सोचता हूं कि इसने लोगों को खासा प्रेरित किया है.”

इस तस्वीर को नकली बताने वालों की टिप्पणियों के बारे में संडक्विस्ट बताते हैं “हर कोई कहता है कि ‘ये तो नकली है. असल में उसके पास एक टांग नहीं है. या कोई कहता है कि ऐसा शरीर बनाना संभव ही नहीं है.”

Lizzie Miller gained recognition as a beautiful plus sized model

Lizzie Miller gained recognition as a beautiful plus-sized model when she posed for Glamour in 2009, highlighting real women.

लिजी मिलर

ग्लैमर पत्रिका के अमरीकी संस्करण के पृष्ठ 194 पर एक तस्वीर छपी जिसने 24 वर्षीय मॉडल लिजी मिलर को रातों रात शोहरत दिला दी.

इस तस्वीर में उनका पेट दिखाया गया है और उसके शरीर पर चर्बी की वजह से पड़ने वाले निशान भी देखे जा सकते हैं. इस तस्वीर ने लोगों का ध्यान खींचा क्योंकि लोगों ने सुंदर महिला को असली पेट के साथ देखा.

मिलर कहती है, “मेरे लिए ये हैरानी भरी बात थी कि ये तस्वीर इतनी जल्दी मशहूर हो गई.”

मिलर ने ये तस्वीर 2009 में खिंचवाई थी. हालांकि ये तस्वीर पत्रिका के पीछे वाले हिस्से में छपी थी, लेकिन ये लोगों का ध्यान खींचने में सफल रही और मिलर को लोगों की भावविभोर कर देने वाली प्रतिक्रियाएं मिली.

वो बताती हैं, “सबसे अच्छी टिप्पणी एक लड़की के बॉयफ्रेंड की तरफ से मिली जिसने मेरा शुक्रिया अदा किया था. उनसे कहा कि वो अपनी गर्लफ्रेंड से हमेशा कहता है कि वो बहुत सुंदर है लेकिन वो उसका विश्वास ही नहीं करती है. मुझे लगता है कि ये बहुत ही प्यारी बात थी कि उस व्यक्ति को अपनी प्रेमिका में सुंदरता दिखती थी. लेकिन बहुत सारी महिलाओं को अपने अंदर ही खूबसूरती नहीं दिखाई देती.”

कुछ भारी शरीर वाली मॉडल मिलर को भी फैशन उद्योग में साइज को लेकर चलने वाली बातों का सामना करना पड़ता है. वो बताती है कि हाल ही में उन्हें इसलिए एक नौकरी नहीं मिली कि “उनकी टांगे बहुत मोटी” हैं.

मिलर का कहना है कि अपनी ट्रेनर की तरफ से मिलने वाली नकारात्मक टिप्पणियों को वो अनदेखा करती हैं. वो कहती हैं, “मेरे शरीर का ढांचा एक निश्चित साइज से कभी छोटा नहीं हो सकता. मैं जानती हूं कि मेरा डील डौल बड़ा है.”

वो नहीं मानती कि मीडिया में सुदंरता के अलग अलग प्रकारों को दिखाया जाता है.

French model Isabelle Caro

French model Isabelle Caro, posed for this billboard to raise awareness about anorexia. The model died two years ago at age 28, but the picture lives on.

इसाबेल कारो

कहा जाता है कि फ्रेंच मॉडल इसाबेल कारो का वजन पांच स्टोन के बराबर (32 किलोग्राम) है और कद पांच फुट चार इंच था. उन्होंने 2007 में एक फैशन ब्रांड की एंटी-एनोरेक्सिया यानी खाने में अरुचि के विरोध से जुड़ी प्रचार मुहिम के लिए नग्न तस्वीर खिंचाई थी.

उनके मरियल से चेहरे और बेहद कमजोर शरीर वाली तस्वीर मिलान फैशन वीक से पहले वहां अखबारों में और होर्डिंग्स पर शहर भर में लगाई गईं. उसी दौरान इस बात को लेकर भी चिंताएं जताई जा रही थी कि क्या कैटवॉक से लिए बेहद दुबली मॉडल्स को लेना सही है.

बताया गया कि अपनी इस तस्वीर के जरिए कारो 'खाने में अरुचि' से जुड़ी समस्या को उठाना चाहती थी.

उन्होंने 2007 में दिए एक इंटरव्यू में कहा, “एनोरेक्सिया से लोगों की मौत होती है. ये भले ही कुछ भी हो लेकिन सुंदरता नहीं है. ये एक सीधा सपाट फोटो है जिसमें कोई मेकअप नहीं है. संदेश साफ है. मुझे त्वचा से जुड़ी बीमारियां हैं और शरीर बूढ़ी महिलाओं जैसा है.”

ये तस्वीर इतालवी फोटोग्राफर ओलिवीएरो तोस्कानी ने एक फैशन हाउस नोलिता के लिए ली थी. बाद में इटली में विज्ञापनों पर नजर रखने वाली संस्था ने इस तस्वीर के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी.

लेकिन इसने तीखी बहस को जन्म दिया. खाने से जुड़ी विसंगितों पर काम करने वाली एक संस्था बीट की मुख्य कार्यकारी सुसन रिंगवुड का कहना है कि कारो की जैसी तस्वीरें भला के बजाय बुरा ज्यादा कर सकती हैं क्योंकि किसी को डराने वाली तरकीबें काम नहीं करती हैं.

उनका कहना है, “जो लोग अरुचि से जुड़ी विसंगित का शिकार हैं, उन्हें अपनी जान को जोखिम के बारे में पता हो सकता है. हो सकता है कि उन्हें इस बात से इतना डर लगे जितना कुछ पाउंड अपना वजन बढ़ाने से लगेगा.”

कारो की 2010 में सिर्फ 28 साल की उम्र में मौत हो गई लेकिन उनकी बार बार याद आने वाली छवि को लेकर विवाद जारी हैं.

Demi Moore famous maternity picture in 1991

Demi Moores' famous maternity picture in 1991 caused women to rethink their pregnant bodies and to start appreciating them rather than hiding them.

डेमी मूर

किसी ज़माने में गर्भवती महिलाएं अपने पेट छिपाया करती थीं कि कहीं लोग उनके बढ़े हुए पेट को न देख लें. इसके लिए बेहद ढीले ढाले कपडों का चलन आम था.

इसके बाद आई अभिनेत्री डेमी मूर की तस्वीर. उन्होंने सात महीने की अपनी गर्भावस्था में नग्न तस्वीर खिंचाई जो वैनिटी फेयर पत्रिका के कवर पेज पर प्रकाशित हुई.

ये एक बड़े बदलाव की शुरुआत थी. इसके बाद तो बहुत सी गर्भवती महिलाओं ने डेमी मूर के अंदाज में अपनी तस्वीरें खिंचाईं.

डेमी मूर ने बाद में 1991 में कई पत्रिकाओं के लिए इस तरह की तस्वीरें खिंचवाईं.

बताते हैं कि इससे उनकी कमाई में काफी इजाफा हुआ. 1990 में जहां उनकी कमाई साढ़े तीन लाख डॉलर थी, वो 1992 में बढ़ तक 30 लाख तक जा पहुंची.

हालांकि कुछ लोग अब भी इस बात को नहीं मानते हैं कि इस तरह की तस्वीरों से गर्भावस्था को लेकर आम सोच में बदलाव आया है.

लेखक और आठ महीने की गर्भवती एंतोनिया होयले का कहना है कि बहुत सी महिलाएं अब भी यही सोचती है कि गर्भावस्था सुंदरता के लिहाज़ से कोई अच्छी अवस्था नहीं है.