सुचित्रा सेन पिछले कुछ दिनों से काफी बीमार थीं और उन्हें 24 दिसंबर को कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

तब डॉक्टरों ने बताया था कि उनके फेफड़ों में पानी भर गया है और उन्हें लगातार ऑक्सीज़न मुहैया कराई जा रही थी.

डॉक्टरों के मुताबिक़ सुचित्रा की हालत गुरुवार रात से बिगड़ने लगी थी और शुक्रवार सुबह उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा था.

मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि सुबह उन्होंने आख़िरी सांस ली. हांलाकि अस्पताल प्रशासन की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है.

 सुचित्रा, मधुमेह यानी डायबिटीज़ से भी पीड़ित थीं.

करियर

उन्होंने 1952 में बांग्ला फ़िल्म 'शेष कोथाय' से अपना करियर शुरू किया और कई मशहूर फ़िल्में कीं. उन्होंने हिंदी फ़िल्मों में भी काम किया लेकिन उनकी असल पहचान बांग्ला फ़िल्मों से ही बनी.

रहें न रहें हम महका करेंगे...

बिमल रॉय की मशहूर फ़िल्म 'देवदास' में उन्होंने पारो का किरदार निभाया. इस फ़िल्म में  दिलीप कुमार, मोतीलाल और वैजयंती माला जैसे हिंदी फ़िल्म जगत के दिग्गज कलाकार भी थे.

इसके अलावा वो साल 1966 की फ़िल्म 'बंबई का बाबू' में सदाबहार अभिनेता  देव आनंद के साथ नज़र आईं.

सुचित्रा सेन को हिंदी फ़िल्म प्रेमी सबसे ज़्यादा जानते हैं वर्ष 1975 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'आंधी' से.

आंधी

गुलज़ार के निर्देशन में बनीं इस फ़िल्म में वो  संजीव कुमार के साथ दिखी थीं. 'आंधी' के गाने बेहद मशहूर रहे.

फ़िल्म कामयाब भी रही और विवादित भी, क्योंकि कथित तौर पर सुचित्रा का किरदार तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलता-जुलता था.

साल 1978 में रिलीज़ हुई बांग्ला फ़िल्म 'प्रनॉय पाशा' के बाद उन्होंने फ़िल्मों से संन्यास ले लिया. इसके बाद वो सार्वजनिक जीवन से दूर हो गई थीं.

वो कोलकाता स्थित अपने घर में ही ज़्यादातर वक़्त बिता रही थीं. उन्हें लंबे समय से सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया.

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार साल 2005 में उन्होंने प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार लेने से भी इनकार कर दिया था क्योंकि वो किसी को नज़र नहीं आना चाहती थीं.

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