आज पारित हो सकता है प्रस्ताव

इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आइएसवाईएफ) पर से ब्रिटेन 15 साल पुराना प्रतिबंध हटाने की तैयारी कर रहा है। खालिस्तान समर्थक इस संगठन को प्रतिबंधों से मुक्त करने का प्रस्ताव ब्रिटिश संसद आज पारित कर सकता है। यह प्रस्ताव सरकार ने 22 मई को पेश किया था। हाउस ऑफ कॉमंस में इस मसले पर बहस मंगलवार की रात इस नतीजे के साथ समाप्त हुई कि फिलहाल इस संगठन के आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने को लेकर कोई प्रमाण नहीं हैं।

संगठन से जुड़े कई लोग आरोपी हैं

1980 में स्थापित यह संगठन भारत के खिलाफ कई साजिशों शामिल रहा है। हत्या, अपहरण, बम धमाकों की कई घटनाओं में संगठन से जुड़े लोग आरोपी हैं। मार्च 2001 में ब्रिटेन ने संगठन पर प्रतिबंध लगाया था। जुलाई 2003 से आइएसवाईएफ कनाडा में भी प्रतिबंधित है। ब्रिटेन के सुरक्षा मंत्री जॉन हायस ने सदन को बताया कि सभी उपलब्ध जानकारियों के विस्तार से तहकीकात के बाद आइएसवाईएफ से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया गया है।

लिट्टे पर से भी प्रतिबंध हटाने की मांग

लेबर पार्टी के भारतवंशी सांसद कीथ वाज ने इसे सिख समुदाय की भावनाओं से जुड़ा मामला बताते हुए सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में साढ़े चार लाख सिख रहते हैं और करीब डेढ़ सौ गुरुद्वारे हैं। आइएसवाईएफ केवल एक संगठन है। लेकिन, इसके नाम में सिख शब्द होने के कारण इसका काफी प्रभाव देखने को मिल रहा था। उन्होंने लिट्टे पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा की भी मांग की है।

संगठन ने पिछले साल की थी इस बारे में अपील

द सिख फेडरेशन ने बीते साल प्रतिबंध हटाने की गुहार लगाई थी। गृह मंत्री थेरेसा मे की ओर से अपील खारिज होने के बाद संगठन प्रतिबंधित संगठनों के लिए बनाए गए अपील आयोग में पहुंच गया था। आयोग में इस मामले की सुनवाई से पहले ही सरकार ने संसद में प्रतिबंध हटाने को लेकर प्रस्ताव पेश कर दिया। सिख फेडरेशन के अध्यक्ष भाई अमरीक सिंह ने भी फैसले पर प्रसन्नता जताई है।

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