संभावित वजहों में शामिल

भारत में कॉल ड्रॉप का स्तर काफी ज्यादा है। देश में कॉल ड्रॉप का औसत 4.73 फीसद है। यानी आप की ओर से की जाने वाली 20 में से एक कॉल ड्रॉप हो जाती है। यह न सिर्फ दूरसंचार नियामक ट्राई की ओर से निर्धारित दो फीसद के स्वीकार्य स्तर से अधिक है, बल्कि तीन फीसद के ग्लोबल औसत से भी काफी ज्यादा है। रेडमैंगो एनालिटिक्स की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश कॉलें व्यवधान या अन्य गुणवत्ता संबंधी कारणों से ड्रॉप होती हैं। हालांकि स्पेक्ट्रम की कमी और उपयोग करने वालों की संख्या अत्यधिक होना भी कॉल ड्रॉप की संभावित वजहों में शामिल हैं।

कॉल ड्रॉप के लिए जिम्मेदार

सर्वे के मुताबिक कम नेटवर्क कवरेज वाले इलाके केवल चार फीसद कॉल ड्रॉप के लिए ही जिम्मेदार हैं। बाकी की 59.1 फीसद कॉल ड्रॉप खराब क्वॉलिटी और 36.9 फीसद नेटवर्क में फॉल्ट की वजह से होती है। टेलीकॉम कंपनियों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कॉल ड्रॉप पर पेनाल्टी लगाने का कदम जनता को खुश करने के लिए उठाया गया है। बीते साल 16 अक्टूबर को दूरसंचार नियामक ने तीन से ज्यादा कॉल ड्रॉप होने पर जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया था।इसके तहत तीन की सीमा के बाद प्रति कॉल ड्रॉप एक रुपये की पेनाल्टी लगेगी। इस आदेश को दूरसंचार कंपनियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, मगर वहां से कोई राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट की ओर से ट्राई के फैसले को सही ठहराए जाने के बाद कंपनियां इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई हैं।

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