40 के दशक में जब वल्र्ड वॉर 2 अपने पीक पर था और एंटी नात्जी सेंटिमेंट पूरे जोरों पर थे, कैप्टन अमेरिका के मिथ ने जन्म लिया. इसकी शुरुआत होती है स्वीट रोजर्स (इवान) के नॉर्मल से लुक से, जो कि वॉर लडऩे और बैटलफील्ड में शहीद होने के लिए बेहद डेस्परेट है. हालांकि, वह लगातार मेडिकल क्लीयर नहीं कर पाता. शुरुआती सीक्वेंस में उसका बेस्ट फ्रेंड जेम्स (स्टान) उसे एक एले फाइट से बचाता है और उसे एक डबल डेट पर ले जाता है. वहां उसे एक सीक्रेट गवर्नमेंट प्रोजेक्ट के लिए डिस्कवर करता है फॉर्मर नात्जी साइंटिस्ट डॉक्टर अब्राहम.  इस सीक्रेट प्रोजेक्ट में रोजर के शरीर में एक सिरम इंजेक्ट कर दिया जाता है जो कि उसे एक मजबूत बॉडी वाले सुपर सोल्जर में कंवर्ट कर देता है. इस सुपर सोल्जर के पास सुपरह्यूमन स्ट्रेंथ और बिजली से फास्ट रिफ्लेक्सेज हैं. उधर नात्जी जर्मनी में जॉहान श्मिड्ज नाम का एक ऑफिस टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन हाइड्रा को लीड करता है और कुछ बहुत बुरा प्लान कर रहा है. रोजर्स कैप्टन अमेरिका बन जाता है और उसकी वॉर में एंट्री होती है तब जब उसके फ्रेंड बकी को दुश्मन कैप्चर कर लेते हैं.


हालांकि कैप्टन अमेरिका मेजरली द एवेंटर्स के लिए एक सेटअप मूवी है फिर भी ये जबरदस्त एंटरटेनिंग है. भले ही प्लॉट कोई बहुत रिवॉल्यूशनरी ना हो लेकिन फिर भी डायरेक्टर जॉन्टसन ने फिल्म का पेस बरकरार रखने और क्रिएटिविटी डालने में बेहतरीन काम किया है. उससे भी बेहतरीन है शैले जॉनसन की सिनेमैटोग्राफी. रिक की प्रोडक्शन डिजाइन आंखें चौड़ी कर देने वाली और रेट्रो कूल है, जो इस फिल्म को कॉमिक बुक जैसी बनने देने का मौका देती है. 


कमियों की बात करें तो इवान के ब्वॉइश लुक्स भी उसे चार्म नहीं देते और उनकी डायलॉग डिलीवरी में भी बहुत जान नहीं है, जो फिल्स की बेहतरीन कास्ट के लिए एक धब्बे जैसा है. फिल्म के स्कोर्स कुछ जगहों पर बेहद हिलैरियस हैं. हालांकि ये सब नॉर्मल सी गड़बडिय़ां हैं. ये फिल्म उनमें से है जो अपनी कमियों में भी बेहतरीन दिखती है. भले ही ये आइरन मैन जितनी बेहतरीन नहीं है मगर ओवररेटेड एक्समेन: फस्र्ट क्लास से काफी बेहतरी है. कुल मिलाकर ये है एक सॉलिड कॉमिक-बुक एंटरटेनमेंट.

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