डॉ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिर्विद्)। Chaitra Navratri 2022 Date, Shubh Muhurat & Puja vidhi: नवरात्रि का महात्म एवं पूजा विधान: चैत्र नवरात्रि में माँ के नवस्वरुपों की पूजा की जाती है। माँ अपने भक्तों से प्रसन्न होकर अपनी खास कृपा बरसाती है। माँ को प्रसन्न करने के लिए माँ के नवरुपों की पूजा की जाती है। माँ के नवरुपों का अपना अलग-अलग महत्व है एवं अलग-अलग गुणकारी प्रभाव भी है। इसलिए भक्तगण माँ को प्रसन्न करने के लिए भिन्न-भिन्न रुपों की पूजा करते है। अपने विभिन्न रुपों में माँ अनेक गुणों एवं शक्तियों से संपन्न रहती है। किसी रुप में शक्ति का भाव, किसी रुप में ब्रह्मचर्य का भाव, किसी रुप में दया भाव रहता है और किसी रुप में विनाशकारी भाव रहता है। मानव जीवन में अनेक तरह की परेशानियाँ एवं खुशियों का समावेश होता है। खुशी एवं परेशानी के लिए किस रुप की पूजा करने से ज्यादा बेहतर प्रभाव जातक पर पड़ेगा, उसी रुप की पूजा से भक्त को विशेष लाभ मिल सकता है। उनके सभी रुपों की पूजा करने से आप माँ की विशेष कृपा प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 से शुरु हो रही है।

Chaitra Navratri 2022 Ghatasthapana Shubh Muhurat - कलश स्थापना का मूहूर्त
- कलश को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। कलश स्थापना करते समय सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। इन देवी देवताओं में गणेश जी एवं माँ दुर्गा की पूजा एवं आरती का विशेष महात्म है। 02 अप्रैल 2022 को कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

- इस वर्ष शुभ मुहूर्त 02 घंटा 19 मिनट का ही मिल पायेगा। इसलिए इस मुहूर्त में ही कलश स्थापना करनी चाहिए। यदि इस समय कलश स्थापना न कर पायें तो अभिजित मुहूर्त में भी कलश स्थापना किया जा सकता है।

- अभिजित मुहूर्त 2 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। केवल 42 मिनट के इस अभिजित मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।

नवरात्रि के वास्‍तु व ज्योतिषीय प्रभाव
माँ दुर्गा इस वर्ष कई शुभ योगों के साथ अपनी कृपा भक्तों पर लेकर आ रही है। इनमें से रवि योग, सर्वांश सिद्धि योग, शुभ योग आदि योग बन रहे है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वांश सिद्धि योग का मतलब महालक्ष्मी से है। इस योग में किए गए कार्य सिद्ध होते है। जातक अपने कार्यों को ऊंचाई पर ले जाने में सफल होता है। रवि योग में अनेक तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है। जिससे कार्यों में सुगमता आती है। शुभ योग में हर कार्य में शुभता मिलती है और अशुभ प्रभाव नष्ट होता है। नवरात्रि में मां की घटस्थापना घर के उत्तर या पूर्व दिशा की जानी करना चाहिए, इस तरह से स्‍थापना करने से घर में सुख व समृद्धि का वास होता है।

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नवरात्रि पर ग्रह भी दे रहे आशीर्वाद
ग्रहों के अनुसार इस वर्ष नवरात्रि के समय मंगल और शनि की युति रहेगी। जिससे कर्मठता बढ़ेगी। कार्यों में सफलता मिलेगी। इस वर्ष नवरात्रि में गुरु एवं शुक्र की भी युति भी बन रही है। जिससे माँ की कृपा से विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई में गति आयेगी। ज्ञान वृद्धि होगी एवं शुक्र के प्रभाव से सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। अच्छे मकान या अच्छे वाहन खरीदने का योग बन सकता है। इसी नवरात्री में सूर्य एवं बुध की भी युति हो रही है। जिसके कारण माँ अपने भक्तों पर सूर्य के प्रभाव से उच्च पदों पर ले जाने में अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखेगीं। बुध के प्रभाव से कार्य व्यापार करने वाले लोगों पर भी माँ का विशेष आशीर्वाद रहेगा। उनका व्यवसाय उन्नति करेगा। अधिक लाभ मिलने का भी योग माँ की कृपा से बन सकता है। माँ अपने शुभ प्रभाव से अपने भक्तों को उपकृत करेगीं।