डॅा. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Chaitra Navratri 2024 Day 1 Maa Shailaputri Aarti-Bhog: चैत्र नवरात्रि कल यानी की 9 अप्रैल, 2024 को शुरू होंगे। नवरात्रि में नौ दिन तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। प्रत्येक देवी का गुणाकार महात्म होता है। भिन्न-भिन्न स्वरुपों की पूजा से प्रत्येक देवियां अपने गुणकारी स्वभाव के कारण अपना आशीर्वाद बनाए रखती है नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा होती है। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में ये देवियां धरती पर आती है और अपने भक्तों को अपने आशीर्वाद से हर तरह से शक्ति संपन्न करती है। भक्तों को प्रत्येक दिन की देवियों का आशीर्वाद उनके स्वरुपों के अनुसार मिलता रहता है। कुछ देवियां शांत तो कुछ उग्र स्वभाव की है। वहीं कुछ देवियां कुछ मिली-जुली स्वभाव की हैं। नवरात्रि के पहले दिन भक्त शैलपुत्री नामक देवी पार्वती के एक अवतार की पूजा करते हैं। प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों मे गाय का शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए। इससे आरोग्य की प्राप्ति तथा शरीर निरोगी रहता है।

शैलपुत्रीः-

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रर्धकृतशेखराम्।

वृषारुढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

यह देवी पार्वती का एक स्वरूप है। हिमालय की वादियों में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। देवी भगवती की नौ दिनों की पूजा में पहले दिन इन्हीं की पूजा-उपासना की जाती है। इनका वाहन वृषभ है। देवी के दायें हाथ में त्रिशूल है। बायें हाथ में कमल का पुष्प है। एक पौराणिक कथानुसार यज्ञ में अपने पति का अपमान न सहन कर सकी। और योगानि द्वारा अपने को जलाकर भष्म कर लिया। जिससे दुखित होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ का विधंश कर दिया। यही सती अगले जन्म में शैल राज हिमालय की पुत्री के रुप में जन्मी और शैलपुत्री के नाम से विख्यात हुई। इनका विवाह शिव जी के साथ हुआ। मां शैलपुत्री स्वाभिमान एवं दृढ़ता की प्रतिरुप मानी जाती है।

मां शैलपुत्री की प्रचलित आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पाव।

ऋद्धि- सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवा करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पूजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।