कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Chhath Puja 2021 : छठ पूजा सूर्य भगवान को समर्पित सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह मुख्य रूप से उन लोगों द्वारा मनाया जाता है जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों से आते हैं और आज तक पालन की जाने वाली सबसे पुरानी परंपराओं में से एक है। यह चार दिनों तक चलता है और उपवास की अवधि सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहती है। यह सूर्य देव को समर्पित त्योहार है, इसलिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय अत्यधिक महत्वपूर्ण है। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व पर हर दिन सूर्य देवता की विधिवित उपवास के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मुख्य त्योहार षष्ठी तिथि को किया जाता है, इसलिए इसे छठ पूजा कहा जाता है ।

छठ पूजा मुहूर्त
छठ पूजा उत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से शुरू होता है, उसके बाद पंचमी तिथि पर खरना, फिर षष्ठी पर छठ पूजा और सप्तमी तिथि पर उषा अर्घ्य होता है। दृक पंचांग के मुताबिक 8 नवंबर में चतुर्थी नहाय खाय पर सूर्योदय सुबह 05:58 पर और सूर्यास्त शाम 05:07 पर है। 9 नवंबर को लोहंडा और खरना पर सूर्योदय सुबह 05:59 पर और सूर्यास्त शाम 05:06 पर है। वहीं 10 नवंबर को षष्ठी छठ पूजा, सन्ध्या अर्घ्य पर सूर्योदय सुबह 05:59 पर और सूर्यास्त शाम 05:06 पर है। 11 नवंबर को सप्तमी उषा अर्घ्य, पारण के दिन सूर्योदय सुबह 06:00 पर और सूर्यास्त शाम 05:05 पर है।

छठ पूजा सामग्री
चार दिनों तक चलने वाले इस उत्सव को मनाने के लिए विभिन्न चीजों की जरूरत होता है। इसमें एक चौकी, एक बेंत/बांस की टोकरी, केले के पत्ते, गन्ना, केले, फल, पान और सुपारी, लौंग और इलाइची, अक्षत (कच्चे चावल हल्दी के साथ मिश्रित), कच्चा दूध, पंच पत्र, कपूर, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, घी, तिल का तेल या सरसों का तेल, दीपक, पानी के साथ एक कलश, अगरबत्ती और धूप, सफेद धागे से बनी एक माला, कलावा (पवित्र लाल धागा), दही, नारियल, मूली, सूखे मेवे और मिठाई, एक घंटी, भोग (चना दाल, खीर, रोटी, लौकी करी, ठेकुआ), छठ पूजा कथा पुस्तक और नए कपड़े शामिल हैं।

छठ पूजा आरती
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।। जय।।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय।

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।। जय।।

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।

ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।।जय।।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।

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