ऐसा होगा असर

जाहिर सी बात है कि अब चीन के केंद्रीय बैंक के इस कदम से युआन अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले अब बेहद सस्ता हो गया है। इस तरह से अब कमजोर युआन से विदेशी बाजार में चीन के उत्पाद और भी ज्यादा सस्ते हो जाएंगे। देखा जाए तो चीन को अब इसका फायदा निर्यात में बढ़ोतरी के रूप में मिलेगा। वहीं गौर करने वाली बात ये भी है कि चीन के ऐसे कदम से भारतीय उत्पादों के लिए ग्लोबल बाजार में प्रतिस्पर्धा अब पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी।

स्टील व मेटल कंपनियों को नुकसान

ऐसे में ये भी साफ है कि अब भारत की कुछ स्टील और मेटल कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है। इन कंपनियों में टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल, हिंडाल्को और वेदांत भी प्रमुखता के साथ शामिल हैं। इतना ही नहीं, इसके अलावा भारत सरकार की ओर से मेटल और स्टील के आयात पर जो भी शुल्क बढ़ाया गया है, उसका भी अब कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला।

डॉलर हो गया और भी मजबूत

इस तरह से युआन की वैल्यू के कम होने के कारण डॉलर को और भी ज्यादा मजबूती मिलेगी। इस मजबूती से रुपये की विनिमय दर पहले से ज्यादा घट गई। इसके तहत भारतीय मुद्रा 32 पैसे कमजोर होकर 64.20 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गई है। इस वजह से भारतीय सर्राफा बाजार में सोने और चांदी की कीमत अचानक से बढ़ गई है।

ऐसे पड़ेगा प्रभाव

ऐसे में इंटरनेशनल करेंसी बाजार में हलचल होने का सीधा असर शेयर्स पर हुआ है। बैंक निफ्टी 1.25 फीसद नीचे गिर गया है। इसके साथ ही सरकारी बैंकों के इंडेक्स में भी करीब चार फीसद की भारी गिरावट को दर्ज किया गया है। अब देखा जाए तो कुल मिलाकर स्टील और मेटल कंपनियों को भारी नुकसान होगा, क्योंकि चीन से सस्ते प्रोडक्ट के आयात अब बढ़ जाएंगे। इसके अलावा भारत सरकार ने मेटल और स्टील के आयात पर जो शुल्क बढ़ाया है, उसका भी कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला। टायर का आयात भी बढ़ेगा। इससे घरेलू कंपनियों को परेशानी होने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन के टायर सस्ते होते हैं।

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