निर्माण पूरा हो जाने पर इसकी ऊँचाई 630 मीटर से अधिक हो जाएगी. यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची इमारत होगी.

चीन के आर्थिक विकास के दौरान  शंघाई की व्यापारिक गतिविधियों के केंद्र में नई बनी इमारतों के समूह की यह आखिरी इमारत है.

यह चीन के "लौजियाशुई फाइनेंस एंड ट्रेड जोन" में बनी है. इसमें ही शंघाई वर्ल्ड फाईनेंशिअल सेंटर और जिन माओ टावर बने हैं. इन्हें भी विश्व की सबसे ऊँची इमारतों में गिना जाता है.

आखिरी बीम के रखे जाने के बाद शंघाई टावर ने औपचारिक तौर पर ताइवान की 509 मीटर ऊँची इमारत "ताइपे 101" का एशिया की सबसे ऊँची इमारत होने का खिताब अपने नाम कर लिया है.

बुर्ज खलीफ़ा से छोटी

चीन का शंघाई टावर दुनिया की सबसे ऊंची इमारत दुबई के बुर्ज खलीफा से लगभग 200 मीटर छोटा है. बुर्ज खलीफा की ऊँचाई लगभग 830 मीटर है.

चीन ने बनाई दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची इमारत

शंघाई टावर से बीजिंग शहर का नज़ारा.

शंघाई टावर बनाने में लगभग 2.4 अरब डॉलर की लागत आई है. यह पूरी तरह 2014 में बनकर तैयार होगा.

इस इमारत को बनाने का काम 2008 में शुरू हुआ था. इसकी डिज़ाइन अमरीकी कंपनी जेंसेलर ने तैयार की है.

शंघाई टावर में दफ़्तर, आरामदायक होटल और संभवतः एक संग्राहलय भी होगा.

मील का पत्त्थर

जेंसेलर के शिया जुन ने छत बनाए जाने के आयोजन पर एक संवाददाता संमेलन में कहा, " यह एक मील का पत्त्थर है. यह शंघाई का आसमान से दिखने वाला नज़ारा बदल देगा."

चीन ने बनाई दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची इमारत

उन्होंने कहा, " यह वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. केवल इसलिए ही नहीं क्योंकि यह ऊँची है, बल्कि इसमें और भी खूबियां हैं."

इमारत को अंदर से संवारने-सजाने का काम अभी बाकी है.

पिछले साल इस इमारत के नज़दीक की ज़मीन पर दरारें दिखने के बाद इसके धंसकने की चिंताएं ज़ाहिर की गईं थीं.

शंघाई टावर के मुख्य स्थापत्यकार डिंग चिएमिन ने कहा कि निर्माण के दौरान दिक्कतें थीं लेकिन इससे इमारत की सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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