चुनाव आयोग के निर्देश पर सपा प्रत्याशी का नामांकन खारिज

एनओसी नहीं जमा कर पाए बर्खास्त बीएसएफ जवान

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VARANASI

वाराणसी संसदीय सीट पर चुनाव लड़ने का सपना जवान तेजबहादुर यादव का आखिर टूट ही गया. लम्बे जद्दोजहद के बाद सपा प्रत्याशी एवं बर्खास्त बीएसएफ जवान के चुनाव लड़ने को लेकर चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया. नोटिस जारी करने के 24 घंटे बाद बुधवार दोपहर चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर का नामांकन रद कर दिया है. अब सपा-बसपा गठबंधन की अधिकृत प्रत्याशी के रूप में शालिनी यादव मैदान में हैं.

नहीं जमा किया एनओसी

नामांकन खारिज होने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि तय समय सुबह 11 बजे तक तेजबहादुर बर्खास्तगी का सर्टिफिकेट नहीं जमा कर सके. इसलिए उनका नामांकन खारिज कर दिया गया. उन्होंने बताया कि बर्खास्त सरकारी कर्मचारी चुनाव नहीं लड़ सकता है. चुनाव लड़ने के लिए संबंधित व्यक्ति को चुनाव आयोग से एनओसी लेना जरूरी है. तेज बहादुर यादव की ओर से समय दिए जाने के बाद भी एनओसी नहीं जमा करायी गयी. इसके बाद चुनाव प्रेक्षक और चुनाव आयोग के निर्देश पर तेज बहादुर यादव का नामांकन निरस्त किया गया.

बोले, चुनाव लड़ने योग्य हैं

पर्चा खारिज होने पर तेज बहादुर यादव ने कहा कि उनका नामांकन खारिज कर दिया गया है. बीएसएफ कार्यालय से पत्र मंगाकर जवाब दाखिल किया कि वह अनुशासनहीनता के आरोप में सेवा से बर्खास्त किए गए हैं न कि भ्रष्टाचार या देशद्रोह के आरोप में. ऐसे में चुनाव आयोग की नीति के तहत वह चुनाव लड़ने के योग्य हैं. इसके बाद भी सरकार के दबाव में उनका नामांकन रद कर दिया गया. समाजवादी पार्टी ने नामांकन पत्र निरस्त होने के पीछे पीएम मोदी के दबाव का नतीजा करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही.

दो बार किया था नामांकन

तेज बहादुर ने पहले 26 अप्रैल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया था. फिर 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न पर नामांकन करवाया. तेज बहादुर का पर्चा खारिज होने की आशंका पर सपा ने वैकल्पिक प्रत्याशी के तौर पर शालिनी यादव का भी नामांकन कराया था. नामांकन के दूसरे रोज मंगलवार दोपहर लगभग तीन बजे जिला निर्वाचन कार्यालय से नोटिस जारी किया गया कि तेज बहादुर सरकारी सेवा से बर्खास्त होने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं और उनका नामांकन अवैध है. उन्हें सुबह 11 बजे तक का वक्त दिया गया था.

पांच साल नहीं लड़ सकता चुनाव

तेज बहादुर और सपा के आरोपों को नकारते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया 'यदि केंद्रीय या राज्य सरकार में किसी सरकारी कार्यालय में कोई कार्यरत है और उसे किन्हीं कारणों से नौकरी से बर्खास्त किया जाता है तो वह बर्खास्त होने के बाद पांच साल तक चुनाव लड़ना चाहता है तो केंद्रीय चुनाव आयोग से एनओसी लेना अनिवार्य होता है, जिसका उल्लेख सेक्शन नाइन डिसक्वालीफिकेशन रिप्रेजेंटेशन आफ पीपल एक्ट में है. तेज बहादुर ने ऐसा नहीं किया.' सुरेंद्र सिंह ने बताया कि प्राप्त शिकायतों और लंबी सुनवाई के बाद पर्याप्त आधार पाते हुए तेज बहादुर का पर्चा खारिज किया गया.