-दस साल पुराने स्कूली वाहन नहीं ढो सकेंगे बच्चों को

-स्कूली वाहनों की आयु पांच साल घटायी गई

-छात्रों की सुरक्षा को लेकर आरटीओ हुआ सख्त

VARANASI

स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है। ई रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने के बाद दस साल पुराने वाहनों से पुराने वाहनों से बच्चों को स्कूल ले आने-जाने पर रोक लगा दिया है। पहले यह उम्र 15 साल निर्धारित थी। नए नियम से तमाम वाहन चालकों की मुसीबत बढ़ गयी लेकिन लेकिन पैरेंट्स को राहत जरूर मिली है। अब उनके बच्चे खटारा वाहन में सफर नहीं करेंगे।

ढेरों ने किया पार दस साल

शहर में संचालित हो रहे हजारों स्कूलों में कई के खुद के वाहन हैं। इनसे बच्चों को ढोया जाता है। वहीं तमाम ऐसे स्कूल भी हैं जिनके बच्चे प्राइवेट वाहन से आते-जाते हैं। स्कूल इसकी किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेता है। जिन स्कूलों के खुद के वाहन हैं उनके भी ढेरों वाहन दस साल की उम्र पूरा कर चुके हैं। स्कूली बच्चों के ढोने वाले प्राइवेट वाहनों की हालत तो बेहद खतरनाक है। उनमें से कई तो दो दशक से भी अधिक पुराने हैं।

बढ़ेगी मुसीबत

आरटीओ विभाग में करीब 2200 स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं। इनमें करीब 900 वैन भी शमिल हैं। इन वाहनों से रोजाना करीब 20 हजार बच्चे स्कूल आते-जाते हैं। अधिकांश स्कूली वैन की आयु दस साल से अधिक हो चुकी है। इन वाहनों के खिलाफ आरटीओ जल्द अभियान चलाया जाएगा। अगर इन वैनों का परिचालन बंद हो गया तो करीब 20 हजार बच्चों को स्कूल आने-जाने में दिक्कतें होंगी। ऐसी स्थिति में पैरेंट्स को दूसरा विकल्प चुनना पड़ेगा।

नियमों में की गई सख्ती

-27 मई 2019 को परिवहन नियमों में हुए संशोधन में वाहनों को तीन वर्ग में विभाजित किया गया है।

-उसी तरह उनकी आयु भी निर्धारित की गई है।

-13 सीटर स्कूल वैन की उम्र 10 साल और इससे अधिक की स्कूल बसों की उम्र 15 साल है।

-ठेके पर चलने वाले स्कूल बस और वैन सहित सभी तरह के वाहनों की उम्र 10 साल निर्धारित की गई है।

-हर बस में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरे, एक चालक, एक सहायक (बालिका होने पर महिला सहायक भी) अनिवार्य है।

-बस की हर सीट पर सीट बेल्ट भी लगाया जाना अनिवार्य कर दिया है।

स्कूल हुए चिंतित

स्कूल वाहनों की उम्र घटाने पर स्कूल चिंतित हैं। कई स्कूलों के प्रबंधन का कहना है कि पहले ट्रांसपोर्ट का घाटा स्कूल फीस में 13 से 15 फीसद तक की वृद्धि से बराबर किया जाता था। लेकिन नई फीस रेगुलेशन लागू होने के बाद अधिकतम 10 फीसद ही फीस बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए ट्रांसपोर्ट का खर्च उठाना संभव नहीं हो सकेगा। मजबूरन ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बंद करना पड़ेगा।

स्कूली वैन की आयु पांच साल घटाये जाने का निर्णय गलत है। इसका विरोध किया जाएगा। नये नियम लागू होने से ट्रांसपोर्ट शुल्क में दो से तीन गुना वृद्धि परिजन देने को कभी राजी नहीं होंगे। वहीं सभी नियमों का पालन करने पर शुल्क को नियंत्रित रखना स्कूलों के लिए संभव नहीं होगा।

-संतोष यादव, वैन चालक

बहुत जल्द ही दस साल आयु पूरी करने वाले स्कूली वैन की सूची तैयार कराई जाएगी। इसके बाद अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी।

-सर्वेश सिंह, एआटीओ

2200 से अधिक स्कूली वाहनों का कमर्शियल रजिस्ट्रेशन

900 से अधिक स्कूली वैन ढो रहे हैं बच्चों को

300 से अधिक निजी स्कूलों का है ट्रांसपोर्ट सिस्टम

20 हजार से अधिक बच्चे वैन से जाते हैं स्कूल