सफाई की दौड़ से नवाबी शहर 'साफ'

स्वच्छता सर्वेक्षण 2017: लखनऊ का हाल बेहद चिंताजनक

-434 शहरों में 269वें नंबर पर पहुंचा, पिछले साल था 28वां नंबर

-केंद्र ने कराया था सर्वे, 2 हजार अंकों की थी सफाई की परीक्षा

-इंदौर नंबर एक पर, यूपी का गोंडा सबसे गंदे शहरों में शुमार

-टॉप 100 में यूपी का एक भी शहर नहीं बना सका अपनी जगह

LUCKNOW (4 May): ये खबर हर लखनवाइट्स के माथे पर चिंता की लकीर और गहरी करने वाली है। गंभीरता का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि विकास के पथ पर तेजी से कुलाचें भर रहा अपना लखनऊ सफाई के पैरामीटर पर इस साल पूरी तरह से 'साफ' हो गया है। थर्सडे को केंद्र सरकार द्वारा जारी की कई 434 शहरों की स्वच्छता सर्वे-2017 की रैंकिंग में लखनऊ 269वें नंबर पर सरक गया है। यहां यह बात खास तौर पर गौर करने वाली है कि बीते साल के सर्व में लखनऊ 28वें पायदान पर था। सर्वे में इंदौर देश की सबसे क्लीन सिटी बन गया है। बता दें कि 2014 में इंदौर 149वें नंबर पर था। वहीं यूपी का जिला गोंडा सबसे गंदे शहर में शुमार है।

टॉप 10 शहर और अंक (2 हजार में)

स्थान शहर कुल अंक

1 इंदौर 1808

2 भोपाल 1800

3 विशाखापट्टनम 1797

4 सूरत 1762

5 मैसूर 1743

6 तिरुचिलापल्ली 1716

7 न्यू दिल्ली 1708

8 नवीं मुंबई 1705

9 तिरुपति 1704

10 वडोदरा 1703

हमें मिले सिर्फ 860 अंक

सर्वे के अंतर्गत कुल 2 हजार अंकों की परीक्षा थी। यह अंक अलग-अलग बिंदुओं में बंटे हुए थे। शहर की बात की जाए तो लगभग हर बिंदु पर हम पिटे। शहर के खाते में कुल अंक 860 आए, जिसकी वजह से रैंक 269 आई।

241 स्थान का नुकसान

2016 में हुए सर्वे में शहर का स्थान 28वें नंबर पर था। उस दौरान शहर को कुल अंकों में 60 से 70 फीसदी अंक मिले थे। इस वर्ष (2017) में आई रैंकिंग पर गौर करें तो पिछले वर्ष के मुकाबले शहर 241 स्थान पीछे खिसक गया है। इससे साफ है कि जिम्मेदारों शहर की साफ-सफाई को लेकर कितने संजीदा हैं।

एमपी सब पर भारी

रैंकिंग में मध्यप्रदेश के छोटे शहर जैसे रीवा, सतना आदि भी राजधानी (लखनऊ) पर भारी पड़े हैं। आलम यह है कि इन छोटे शहरों का स्थान टॉप 100 में है, जबकि यूपी के बड़े शहरों की स्थिति बेहद खराब है। कोई भी शहर टॉप 100 में जगह नहीं बना पाया है। इस लिस्ट में एमपी की राजधानी भोपाल का दूसरा नंबर है। टॉप क्लीन सिटीज में एमपी के 11 शहर शामिल हैं।

तीन भागों में सर्वेक्षण

सर्वेक्षण तीन भागों में किया गया है। इसके लिए पहले ही नगरीय निकायों को गाइडलाइन दे दी गई थी।

1-म्युनिसपल डॉक्यूमेंटेशन

इसमें 45 प्रतिशत यानी 900 अंक नगर निगम के संसाधनों के आधार पर दिए गए हैं। इसमें देखा गया है कि कचरा साफ करने और घरों से कूड़ा कलेक्शन के साथ ही उसके निपटान तक की क्या व्यवस्थाएं हैं। निगम के पास उपलब्ध सभी संसाधनों को भी परखा गया है।

2-सिटीजन फीडबैक

जनता का अभिमत भी सर्वे में शामिल किया गया है। इसके लिए स्वच्छता एप, लोगों से सीधा संवाद, सोशल मीडिया से फीडबैक सहित अन्य माध्यमों का प्रयोग कर जनता की राय जानी गई है। इसके 30 प्रतिशत यानी 600 अंक रखे गए थे।

3-सेंट्रल टीम का असेसमेंट

दिल्ली से आए सर्वे दल ने शहर के कई स्थानों पर जाकर यथास्थिति भी देखी थी। इसके लिए शहर के 25 फीसदी हिस्से को शामिल किया गया था। इसके अंतर्गत शहर को करीब 500 अंक दिए जाने थे।

शहर की स्थिति

ओवरऑल स्कोर-860 अंक

म्युनिसपल सेल्फ असेसमेंट-444 अंक

ऑनसाइट ऑब्जर्वेशन-202 अंक

सिटीजन फीडबैक-214 अंक

टॉयलेट में स्थिति खराब

ओडीएफ बिंदु पर शहर को सबसे कम अंक मिले हैं। स्थिति यह है कि इस मद में शहर के खाते में सिर्फ 30 अंक ही आए हैं। जबकि सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग और उसके निस्तारण में शहर के खाते में 71 अंक आए हैं। इसी तरह कैपिसिटी बिल्डिंग एफटर््स में 45 अंक मिले हैं।

फीडबैक ने किया निराश

स्वच्छता सर्वेक्षण में जनता की भागीदारी का अहम रोल था। उम्मीद थी कि शहरवासी बढ़चढ़कर अपना फीडबैक देंगे लेकिन आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ 4255 लोगों ने ही फीडबैक दिया।

कैसे इंदौर बना नंबर वन

- 2012 में इंदौर सफाई में 61वें, 2015 में 25वें पोजिशन पर

- एक साल पहले तक 15 हजार परिवार ऐसे थे जिनके पास टॉयलेट नहीं थे। नगर निगम ने 12,549 इंडिविजुअल टॉयलेट, 200 यूरिनल्स और 190 पब्लिक टॉयलेट्स बना डाले। इस साल जनवरी में पीएमओ ने इंदौर को खुले में शौच समस्या से मुक्त घोषित किया।

- हर दिन 50 हजार किलो कचरा निकलता है। इसमें से 13 हजार किलो प्लास्टिक वेस्ट। इंदौर नगर निगम ने प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर बनाया। प्लास्टिक से शहर में होने वाला पॉल्यूशन 140 माइक्त्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से घटकर 80 माइक्त्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रह गया।

- रैंकिंग सुधरने पर इंदौर को अमृत योजना की किस्त जारी होगी।

कोट

जो रैंकिंग सामने आई है, वह बेहद आश्चर्यजनक है। सर्वे टीम ने अपने नजरिए से अंक दिए हैं। हालांकि जो कमियां हैं, जिसकी वजह से कम अंक मिले हैं, उन्हें अब दूर किया जाएगा। अगले सर्वे में शहर टॉप 20 में जरूर शामिल होगा।

-उदयराज सिंह, नगर आयुक्त