-थानेदारों की लापरवाही से अधिकारियों के वहां लग रही भीड़

-एसएसपी से लेकर एडीजी के यहां लग रही लंबी लाइन

GORAKHPUR: तमाम निर्देशों के बाद भी थानों पर पब्लिक की सुनवाई नहीं हो रही। थानों की पुलिस सिर्फ उन्हीं कामों को प्राथमिकता देती है, जिसे वह खुद मुनासिब समझती है। यही वजह है कि दिन ब दिन अधिकारियों के यहां लगने वाली फरियादियों की लाइन लंबी होती जा रही हैं। शहर से लेकर गांव तक रोज सैकड़ों लोग अपनी समस्या लेकर पुलिस ऑफिस पहुंचते हैं। फिर भी समाधान नहीं होता। लोगों की शिकायत है कि कई बार अधिकारी पूरी बात तक नहीं सुनते हैं तो कई बार सुनने के बाद कुछ करते भी नहीं हैं।

जमीन विवाद के अधिक मामले

सुबह करीब 11 बजे एसएसपी शलभ माथूर अपने दफ्तर पहुंचे। 10 बजे के पहले एसपी सिटी विनय कुमार सिंह और एसपी साउथ ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी भी अपनी-अपनी सीट पर बैठ चुके थे। जबकि, सुबह से ही दूर-दराज से आए सैकड़ों फरियादी पुलिस ऑफिस में मौजूद थे। जो फरियादी जिस क्षेत्र का था पुलिस कप्तान शलभ माथुर उसके अप्लीकेशन को मार्क कर या तो संबंधित अधिकारी के पास भेजते या फिर खुद ही समस्या का निस्तारण करते रहे। हालांकि इनमें से अधिकांश मामलों में ऐसी कोई बड़ी बात नहीं दिखी जिसके लिए पुलिस कप्तान का आदेश मिलना जरूरी हो। बल्कि सभी मामलों का निपटारा थानों में ही आसानी से किया जा सकता था।

फरियादियों में अधिकांश मामले जमीन विवाद से जुड़े थे, या फिर पुलिस की लापरवाही से संबंधित। कई मामलों में पीडि़त के लाख प्रयास के बाद अगर केस दर्ज भी हो गया तो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। अधिकांश मामलों में फरियादी पुलिस की कार्यप्रणाली से पूरी तरह असंतुष्ट ही नजर आए। बावजूद इसके अधिकारियों ने इनमें से अधिकांश मामलों का निस्तारण कर दिया।

थानेदारों पर नहीं पड़ता असर

मालूम हो कि थानों पर न होने वाली सुनवाई को लेकर इससे पहले एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों आदेश कागज में जारी किए जा चुके हैं। बीते दिनों एडीजी दावा शेरपा ने भी आदेश जारी किया था कि अगर अधिकारियों के यहां छोटे-छोटे मामलों में आने वाले फरियादियों की लाइनें कम नहीं हुई तो इसके लिए थानेदार खुद जिम्मेदार होंगे। जिन थानों की सबसे अधिक शिकायतें अधिकारियों के समक्ष पहुंचेंगी, उनके खिलाफ विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी। बावजूद इसके थानेदारों की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।

तीन दिन में आए इतने फरियादी

18 मई - 139

17 मई - 234

16 मई - 182

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ऐसा नहीं है कि पुलिस थानों पर पब्लिक की सुनवाई नहीं होती। लोगों की यह सोच बनती जा रही है कि थानों पर जाने से बेहतर सीधा अधिकारी से ही मिले तो उनका काम बेहतर होगा। हालांकि कई बार थानों पर लापरवाही की भी बातें सामने आती हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। अधिकारियों के पास जो शिकायतें आती हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित कराया जा रहा है।

शलभ माथुर, एसएसपी