- केजीएमयू में स्मृति ईरानी ने एक दिन गरीबों महिलाओं के मुफ्त इलाज की अपील

LUCKNOW: एमबीबीएस करने के बाद युवा अपना क्लीनिक खोलने या फिर बड़े अस्पताल में डॉक्टर बन पैसा कमाने की बात करते हैं। ऐसे डॉक्टर्स से नोबल प्राइज आने की उम्मीद न करें। अगर चिकित्सा में नोबेल हासिल करना है तो शोध पर ध्यान दें। यह बात शुक्रवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने कही। वह एसोसिएशन आफ रिसर्च प्रोफेशनल व केजीएमयू एलुमनाई की ओर से आयोजित सेमिनार में चीफ गेस्ट के तौर पर बोल रही थीं। उन्होंने डॉक्टर्स से अपील की कि महीने में कम से कम एक दिन गरीबों और विशेषकर गर्भवती महिलाओं का मुफ्त इलाज करें।

जब तक अंग्रेजी में ना छपे। मानते ही नहीं

कार्यक्रम में वीसी प्रो। रविकांत ने भारत को चिकित्सा का नोबेल ना मिलने की बात कही थी। जिस स्मृति ईरानी ने कहा कि कि हम छात्रों से उम्मीद करते हैं कि वो 24 घंटे राउंड करें और मरीज देखें। लेकिन, हमें उन्हें शोध के लिए भी प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि चीन में हाल ही में प्राचीन पद्धतियों को नए सिरे से अंगीकार किये जाने पर शोध करने वाले को नोबेल मिला है। हमारे यहां जब तक अंग्रेजी किताब में न लिखा हो, तब तक हम शोध को सही नहीं मानते। स्मृति ने आइआइटी का हवाला देते हुए कहा कि वहां स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे महत्वपूर्ण शोध से भी स्वास्थ्य क्षेत्र के लोग नहीं जुड़े हैं और तमाम छोटी निजी कंपनियां पेटेंट करा ले रही हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक टीचर ने टीबी डिटेक्शन किट बनाई, लेकिन उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स को कम लागत के शोध की तरफ ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ। एसपी पांडेय व डॉ। पीके शर्मा, डॉ। संदीप तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

बस्ते का वजन नहीं घटा रही सरकार

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने स्कूल बच्चों के बस्ते के बढ़ते वजन पर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार बस्ते का वजन घटा नहीं रही है। जबकि, डेढ़ साल पहले ही पत्र लिखकर प्रदेश सरकार को बच्चों के बस्ते का वजन कम करने सहित कई सुझाव दिए थे।

बड़े स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं की जरूरत

स्मृति ईरानी ने कहा कि अमेठी में शिविर लगाया गया तो दो दिन की सूचना पर ही 5 हजार लोग दिखाने चले आए। इससे पता चलता है कि चिकित्सा सुविधाओं की कितने बड़े स्तर पर जरूरत है। दरअसल, डॉक्टर को दिखाना उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उन्होंने कहा कि अमेठी भले ही देशभर में वीआइपी मानी जाती हो, लेकिन वहां स्वास्थ्य सेवाओं का बहुत अभाव है।

मै खुद बैक बेंचर थी

उन्होंने कहा कि वह खुद एक समय में बैक बेंचर हुआ करती थीं। उन्होंने कहा कि पीछे बैठे स्टूडेंट्स को इंटरैक्शन के दौरान पहले प्रश्न पूछने का हक है। इस दौरान एक टीचर ने प्रश्न के जवाब में कहा कि डिग्री से कुछ नहीं होता। आज के समय में ब्रेक द रूल्स एंड मेक योर रूल्स पर विचार कर काम करना चाहिए। आप दुनिया में चल रहे नियमों को दरकिनार कर अपना नया नियम बनाएं। तभी दुनिया आपके टैलेंट को पहचानेगी।

एनसीआरटी में बड़े बदलाव के संकेत

स्मृति ईरानी ने एनसीआरटी में बड़े बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि वीसी प्रो। रविकांत के सुझावों पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने वीसी प्रो। रविकांत को एनसीआरटी बोर्ड में मेंबर के रूप में शामिल करने के भी संकेत दिए।

कक्षा 6 से पढ़ाई जाए बायोलॉजी

कार्यक्रम में केजीएमयू के वीसी पद्मश्री प्रो। रविकांत ने एजूकेशन रिफार्म पर बोलते हुए प्राथमिक शिक्षा के स्तर को सुधारने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें कहा गया कि हमे प्राथमिक स्तर पर ही सीखाना चाहिए की किस प्रकार हाईजीन का ख्याल रखें और कक्षा 6 से हमें ह्यूमन बायोलॉजी भी छात्रों को पढ़ानी चाहिए। प्रराम्भिक अवस्था में ही हमें छात्रों को कम्यूनिकेशनन स्किल का ज्ञान देना चाहिए। वीसी ने कहा कि कोर्स में साइंटिफिक रूप से बदलाव की आवश्यक है और छात्रों को तीन स्तर पर ज्ञान देने की जरूरत है।