समस्या पर एक नजर  
दरअसल, कांग्रेस के नेताओं में मीडिया में आने को लेकर घमासान मच गया है. पार्टी ने सोमवार को अधिकृत प्रवक्ताओं के अलावा दूसरे नेताओं के मीडिया में बयानबाजी पर रोक लगा दी. हालांकि, राशिद अल्वी और मनीष तिवारी ने कहा के वे कांग्रेस का पक्ष रखते रहेंगे.  
 
अधिकृत पांच वरिष्ठ प्रवक्ताओं और 13 प्रवक्ताओं की सूची जारी
पार्टी के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के चेयरमैन अजय माकन ने टि्वटर पर पांच वरिष्ठ प्रवक्ताओं और 13 प्रवक्ताओं की सूची जारी की. उन्होंने कहा कि केवल यही प्रवक्ता पार्टी का विचार रखने के लिए अधिकृत होंगे.

आदेश का हुआ विरोध
पार्टी के इस आदेश का विरोध करते हुए तिवारी और अल्वी ने कहा कि यह वक्त सांप्रदायिकता से लड़ने का है. आपस में लड़ने का और एक-दूसरे को अपमानित करने का नहीं है. तिवारी ने ट्वीट किया है कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर विचार रखने के लिए किसी पद की जरूरत नहीं है. वह साधारण कार्यकर्ता की तरह अपने विचार रखते रहे हैं. राशिद अल्वी ने भी कहा कि वे साधारण कार्यकर्ता के नाते पार्टी का पक्ष हमेशा रखते रहेंगे.
 
लगाम कसने का क्या है कारण
माना जा रहा है कि खासतौर पर मनीष तिवारी और राशिद अल्वी को खामोश करने के लिए यह प्रतिबंध जारी किया गया है. दोनों ने पार्टी लाइन से हटकर टिप्पणियां की थीं. हालांकि, इन नेताओं ने ऐसी किसी अटकलबाजी को खारिज किया है. सूत्रों के मुताबिक, दिग्विजय सिंह, जनार्दन द्विवेदी, शीला दीक्षित, मणिशंकर अय्यर समेत कई नेता भी अपने बड़बोले बयान की वजह से पार्टी को बैकफुट पर खड़ा कर चुके हैं. पार्टी को इन बयानों को नेता की व्यक्तिगत राय बताकर मामले से पल्ला झाड़ना पड़ा.
 
पेश की सफाई
कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने इस मुद्दे पर कहा कि पार्टी ने दूसरे नेताओं के बयान देने पर रोक नहीं लगाई है. सिर्फ अधिकृत प्रवक्ताओं की सूची जारी की गई है.
 
अधिकृत प्रवक्ताओं की सूची
5 वरिष्ठ प्रवक्ता: गुलाम नबी आजाद, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक और पी. चिदंबरम.

13 प्रवक्ता: अभिषेक मनु सिंघवी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सत्यव्रत चतुर्वेदी, पीसी चाको, राजबब्बर, रणदीप सुरजेवाला, रीता बहुगुणा जोशी, संदीप दीक्षित, संजय झा, शकील अहमद, शक्ति सिंह गोहिल, शशि थरूर और शोभा ओझा.

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