-बीटेक के बाद चार लाख पर हुआ था कैम्पस सेलेक्शन, जॉब करने साथ-साथ एमटेक में भी लगती रही अटेंडेंस

- जांच रिपोर्ट में सच आया सामने तो मामला दबाने के लिए जांच करने वाले को ही हटाया, इसके बाद भी बरसती रही कृपा

- 7 दिसंबर को होने वाले कनवोकेशन में गोल्ड मेडल के लिए भी नाम किया फाइनल, मंत्री तक मामला पहुंचने से बैकफुट पर

KANPUR: एचबीटीयू में रूल्स रेगुलेशन की धज्जियां उड़ाने का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां अपने चहेतों पर जमकर 'कृपा' बरसाई जा रही है। कृपा के चलते ही एक स्टूडेंट बीटेक करने के बाद कंपनी में रेगुलर जॉब करता रहा और यूनिवर्सिटी से रेग्यूलर एमटेक भी कर लिया। कृपा बरसाने का काम यहीं नहीं रुका, स्टूडेंट का नाम गोल्ड मेडल के लिए भी फाइनल कर दिया। जो रूल्स रेगुलेशन के मुताबिक, संभव ही नहीं है। शिकायत के बाद मामले की जांच शुरू हुई। जांच रिपोर्ट में शिकायत सही पाई गई तो जांच करने वाले को ही हटा दिया गया। मामला एजूकेशन मिनिस्टर तक पहुंच गया तो कनवोकेशन के चार दिन पहले मेडल व डिग्री देने पर रोक लगा दी गई लेकिन आंखें बदर कर कृपा बरसाने वालों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

कैसे लगती रही अटेंडेंस

एमटेक इन केमिकल टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट का कैंपस प्लेसमेंट में जॉब मिली और उसने रेगुलर स्टूडेंट् बन एमटेक में रजिस्ट्रेशन करा लिया। अहम बात यह है कि स्टूडेंट ने अटेंडेंस भी पूरी कर ली और कंपनी में जॉब भी चलती रही। इस मैटर की शिकायत हुई तो कंपनी ने रिटेन में एचबीटीयू को जानकारी दी कि उसने रेगुलर सैलरी उठाई है। इस जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया और एकेडमिक काउंसिल में उसे गोल्ड मेडल देने के लिए प्रपोजल भी पास करवा लिया गया। टेक्निकल यूनिवर्सिटी में यह सब होता रहा और किसी को इसकी भनक नहीं लगी। आखिरकार जिम्मेदार लोगों पर कौन एक्शन लेगा यह बड़ा सवाल है।

अटेंडेंस पर फिर दिख्ावा क्यों?

जरीब चौकी के पास रहने वाले छात्र सुजीत गुप्ता ने इयर 2012 में बीटेक केमिकल टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया था। इयर 2016 में सुजीत ने फूड टेक्नोलॉजी में बीटेक की डिग्री हासिल की। कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए गुजरात की अडानी विल्मर में 4 लाख रुपए पर एनम की जॉब मिल गई। सुजीत कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। इसके साथ ही सुजीत ने एमेटक इन केमिकल टेक्नोलॉजी में रजिस्ट्रेशन करवा लिया। हैरान करने वाली बात ये है कि सुजीत कंपनी में रेगुलर जॉब करता रहा और एमटेक में उसकी अटेंडेंस भी लगती रही। यूनिवर्सिटी और डिपार्टमेंट के अफसरों की मिलीभगत के यह संभव नहीं हो सकता। जबकि दूसरी ओर अटेंडेंस को लेकर एचबीटीयू इनती सख्त है कि अटेंडेंस कम होने पर स्टूडेंट को एग्जाम में नहीं बैठने दिया जाता है।

- छात्र सुजीत गुप्ता ने 2012 में बीटेक फूड टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया

- इयर 2016 में सुजीत ने फूड टेक्नोलॉजी में बीटेक की डिग्री हासिल की

- कैम्पस प्लेसमेंट में अडानी विल्मर में 4 लाख रुपए पर एनम की जॉब मिली

- नौकरी ज्वाइन करने साथ एमटेक फूड टेक्नोलॉजी में रेगुलर एडमिशन

- कंपनी से सैलरी मिलती रही, यूनिवर्सिटी में लगातार अटेंडेंस भी लगती रही

- डीन एकेडमिक ने जांच में शिकायत सही पाई तो उन्हें पद से हटाया गया

- विद्या परिषद की मीटिंग में गोल्ड मेडल देने का प्रपोजल पास किया गया

-एकेडमिक काउंसिल ने भी मेडल के प्रपोजल को दिया ग्रीन सिग्नल

-मंत्री तक पहुंचा मामला तो डिग्री व मेडल देने पर लगाई गई रोक

- छात्र पर इस कदर कृपा बरसाने वालों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई

डीन एकेडमिक क्यों बदला गया

इस मामले में बांदा के सदर बाजार डॉ। डीके सिंह ने मेल से कम्प्लेन की। जिसके बाद डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर प्रो। डीएल परमार व एसोसिएट डीन प्रो संजीव सक्सेना ने जांच शुरू कर दी। जांच में कंपनी ने रिटेन में दिया कि सुजीत गुप्ता उनके यहां रेगुलर इम्प्लाई हैं और सैलरी उठा रहे हैं। इस जांच के बाद ही प्रो। परमार डीन एकेडमिक से हटा दिए गए थे। उस टाइम केमिकल टेक्नोलॉजी व फूड टेक्नोलॉजी के हेड प्रो। करुणाकर सिंह थे। सवाल ये है कि आखिरकार किसने छात्र को खुली छूट दी कि वह वह जॉब भी करे और एमटेक की रेगुलर डिग्री भी हासिल करे। अटेंडेंस लेने वाली फैकल्टी के खिलाफ अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है।

'कृपा' ने बना दिया टॉपर

खास बात ये है कि 7 दिसंबर को होने वाले कनवोकेशन में सुजीत गुप्ता का नाम एमटेक इन फूड टेक्नोलॉजी में गोल्ड मेडल के लिए सेलेक्ट किया गया है। सुजीत को 2000 में 1542 मा‌र्क्स मिले हैं। सुजीत को गोल्ड मेडल देने के लिए 13 नवंबर को कॉल की गई विद्या परिषद की मीटिंग में प्रपोजल पास कर दिया गया। एकेडमिक काउंसिल में भी इसके पास होने के बाद पुरानी जांच पर कुछ लोगों के बीच चकचक शुरू हो गई। एचबीटीयू के एक प्रोफेसर ने मैटर की जानकारी टेक्निकल एजूकेशन मिनिस्टर को दे दी। मिनिस्टर ने जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल दागे। जिसके बाद विवि प्रशासन ने सुजीत को गोल्ड मेडल व डिग्री देने पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया है। इसकी जांच के लिए प्रो। सुनील कुमार की देखरेख में कमेटी गठित कर दी गई है। जांच दीक्षांत समारोह के बाद ही होगी।

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मामला मेरे संज्ञान में आया है। छात्र को मेडल व डिग्री देने पर रोक लगा दी गई है। साथ ही मैटर की जांच कमेटी बना दी गई है। कनवोकेशन के बाद कमेटी जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी

प्रो। एनबी सिंह, वीसी एचबीटीयू