- संत गाडगे सभागार में हिन्दी-उर्दू साहित्य अवॉर्ड कमेटी का तीन दिवसीय रजत जयंती समारोह

- चंदन दास की गजलों को सुनकर श्रोता हुए मदहोश

LUCKNOW: संत गाडगे सभागार में शनिवार को एक नया रंग देखने को मिला। पुरकशिश गजलों, साहित्य शिरोमणि सम्मान और उर्दू अदब अवॉर्ड के बीच दर्शकों ने इस पल को अलग ही अंदाज में जिया। हिन्दी रचनाकार हरिवंश राय च्च्चन और अजीम शायर मजरूह सुल्तानपुरी पर केन्द्रित हिन्दी-उर्दू साहित्य अवॉर्ड कमेटी का तीन दिवसीय रजत जयंती समारोह रचनाकारों के सम्मान और शेरो-शायरी के बीच शुरू हो गया।

चंदन दास की गजलों ने बांधा समां

चंदन दास ने जब गजलों से समां बांधा तो लोगों के पांव वहीं के वहीं रुक गए। जैसे ही उन्होंने 'दर्द हो दिल में तो दवा दीजिए, दिल ही में जब दर्द हो क्या कीजिए' पेश की तो हाल तालियों की गड़गड़गाहट से गूंज उठा। इसके बाद आई फरमाइश पर चंदन दास ने जब 'तेरी आरजू बहुत है, तेरा इंतजार कम है' गजल को बोल दिए तो लोगों के दिल को सुकूं मिल गया। इसके बाद 'न जीभर कर देखा न कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की' और निदा फाजली की नज्म 'सबको दुश्मन बना लिया मैंने, आपसे दिल लगा लिया मैंने' से सभी का दिल जीत लिया।

इन्हें मिला सम्मान

इस मौके पर डॉ। गंगा प्रसाद विमल, डॉ। सरला शुक्ला, डॉ। ऊषा सिन्हा , अतुल तिवारी व डॉ। माहे तिलत को साहित्य शिरोमणि सम्मान और उर्दू के नामवर शायर प्रो। वसीम बरेलवी, मुनव्वर राना, प्रो। अतीक अल्लाह, डा। शाफे किदवई, डॉ। अली अहमद फातमी व अहमद इब्राहिम अलवी को उर्दू अदब अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही चंदन दास को विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया।