-लोगों के स्कीम के बहाने खुलवाते थे अकाउंट, इन अकाउंट में ठगी की डलवाते थे रकम

-पुलिस ने 3 साइबर क्रिमिनल्स को पकड़ा, 48 डेबिट कार्ड और 10 लाख कैश बरामद

बरेली। बरेली पुलिस ने साइबर ठगी के बड़े रैकेट को ब‌र्स्ट किया है। यह रैकेट लोगों को जनधन जैसी स्कीम का लालच देकर उनके डॉक्यूमेंट्स पर बैंक अकाउंट ओपन करा लेते थे और फिर इन अकाउंट में ठगी की रकम डलवाते थे। ठगी का पूरा नेटवर्क नाइजीरियन चला रहा था। पुलिस ने 3 साइबर ठगों को अरेस्ट किया है, लेकिन नाइजीरियन पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो गया। ठगों के पास से अलग-अलग बैंक के 48 डेबिट कार्ड, 10,03800 रुपए, 4 मोबाइल फोन और एक दिल्ली नंबर की कार बरामद हुई है। इस गैंग ने सैकड़ों लोगों को चूना लगाया है। पुलिस गैंग से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश में जुटी है।

यह ठग आए पकड़ में

एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि सीओ थर्ड एएसपी अभिषेक वर्मा, थाना प्रभारी फरीदपुर असिस्टेंट एसपी अभिमन्यु मांगलिक और एसएचओ बारादरी नरेश त्यागी की टीम ने मोबाइल फोन पर कॉल के जरिए ठगी करने वाले गिरोह के 3 लोगों को पकड़ा है। पुलिस गिरफ्त में आए ठगों की पहचान रियासत खां निवासी उड़ला जागीर, बिथरी चैनपुर, इमरान नवी निवासी संग्रामपुर, बिसोली बदायूं, दिलशाद निवासी मोहल्ला मिर्धान, फरीदपुर को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में नाइजीरियन सैम और मोहम्मद उमर निवासी बीसलपुर फरार चल रहे हैं।

ऐसे करते थे ठगी

पुलिस पूछताछ में ठगों ने बताया कि वह नाइजीरियन सैम के संपर्क में थे। उन्हें पूअर व भोले-भाले लोगों के अकाउंट खुलवाने का टारगेट मिलता था। वह लोगों को जनधन जैसी सरकारी स्कीम के नाम पर अकाउंट ओपन करने का लालच देते थे। उन्हें अकाउंट खुलवाने की एक बार रकम दी जाती थी। सेविंग अकाउंट खोलने पर 10 हजार रुपए और करंट अकाउंट खोलने पर 40 हजार रुपए दिए जाते थे। वह अकाउंट खोलने के बाद उनका डेबिट कार्ड और चेकबुक ले लेते थे। ठगों को भी रकम के हिसाब से कमीशन मिल जाता था, जितनी ज्यादा रकम, उतनी ज्यादा कमीशन मिल जाती थी। ठगों को कई बार तो 50 परसेंट तक कमीशन मिल जाती थी।

फेक बैंक अकाउंट ओपन करते

ठगों ने पूछताछ में बताया कि वह फर्जी बैंक अकाउंट भी ओपन कराते थे। इसके लिए वह आधार कार्ड में एड्रेस चेंज करा लेते थे। इसके अलावा पैन कार्ड भी फर्जी आधार के जरिए बनवा लेते थे। फर्जी करंट अकाउंट ओपन कराने के लिए जीएसटी नंबर भी अप्लाई करके हासिल कर लेते थे। फर्जी किरायानामा तैयार कर भी आधार में एड्रेस चेंज करा लेते थे, जिससे दूसरे डिस्ट्रिक्ट में रहने वाले शख्स का अकाउंट दूसरे डिस्ट्रक्ट में ओपन करा लेते थे।

एटीएम के बाहर खड़े रहते थे

साइबर ठग लोगों को फोन कर या मैसेज, व्हाटसएप या मेल पर लिंक भेजकर ठगी करते थे। वह कभी यूपीआई पूछकर, कभी केवाईसी अपडेट तो कभी फेसबुक पर फेक अकाउंट बनाकर बीमारी के बहाने रकम डलवाते थे। इधर ठग लोगों को अपने जाल में फंसाकर रकम अकाउंट में डलवाते थे तो उधर बैंक अकाउंट ऑपरेट करने वाले ठग बैंक या एटीएम में जाकर खड़े हो जाते थे और एक-दूसरे से लाइव कनेक्ट रहते थे और रकम अकाउंट में आते ही रुपए निकाल लेते थे, ताकि अकाउंट से रुपए वापस न हों। उसके बाद नाइजीरियन ठग सैम को कैश दे देते थे।

ढाई साल से शामिल धंधे में

ठग करीब ढाई साल से इस धंधे में शामिल हैं और लाखों रुपए हड़प चुके हैं। वह अकाउंट से रकम निकालकर ले जाते वक्त पकड़े गए थे लेकिन बिथरी चैनपुर पुलिस ने इसमें खेल करने का प्रयास किया था, जिसके बाद मामले की जांच एएसपी को दी गई थी। यही वजह रही कि पुलिस इस मामले में 10 लाख से अधिक रुपए बरामद कर लिए। हालांकि इस मामले में पुलिसकर्मियों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।