नई दिल्ली (पीटीआई)। दिवंगत प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति और लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे हैं। अपने राजनीतिक जीवन के करीब पांच दशक को उन्होंने डायरी में लिखा है। वे तकरीबन रोजाना डायरी लिखा करते थे। उन्होंने इन डायरियों का कस्टोडियन अपनी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को बना गए हैं, जिन्हें यह तय करना है कि वे इन डायरियों का प्रकाशन चाहती हैं या नहीं। उनकी बेटी ने बुधवार को कहा कि प्रणब मुखर्जी की डायरियां उनके पास है और उनके पिता उन्हें यह अधिकार दे गए हैं कि वे इन डायरियों का प्रकाशन कराएं या नहीं।

अंत तक तेज रही याददाश्त

84 साल के मुखर्जी की सोमवार को तीन सप्ताह के लंबे उपचार के बाद मौत हो गई थी। वे कई बीमारियों से जूझ रहे थे। मंगलवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि कर दी गई। उन्होंने 1969 में राजनीति जीवन की शुरुआत की थी। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां जैसे विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ की। मुखर्जी रोजाना डायरी लिखा करते थे। एक करीबी मित्र ने बताया कि उनकी याददश्त अंत तक तेज रही।

मौत से पहले नहीं छपवाना चाहते थे डायरियां

वरिष्ठ पत्रकार जयंती घोशाल ने कहा कि एक बार उन्होंने प्रणब मुखर्जी से पूछा था कि इन डायरियों का क्या भविष्य होगा, तो उनका जवाब था कि उन्होंने ये डायरियां अपनी बेटी को दे दी हैं... क्योंकि इनसे ढेर सारी कंट्रोवर्सीज सामने आ सकती हैं। इन डायरियों में उन्होंने वे सभी चीजें लिखी हैं जो वे सोचते हैं... इनमें कई चीजें ऑफ रिकाॅर्ड हैं। लेकिन वे इन्हें अपनी मौत से पहले नहीं पब्लिश करवाना चाहते हैं। घोषाल प्रणब मुखर्जी को 1985 से जानती हैं। मुखर्जी को रोजाना डायरी लिखने की आदत थी। यह आदत उन्हें तब से थी जब वे इंदिरा गांधी की कैबिनेट में मंत्री बने थे। राष्ट्रपति के पद से रिटायर होने के बाद तक वे डायरी लिखते रहे थे।

डायरी लिखकर करते थे दिमाग तेज करने की कसरत

एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार और उनके लंबे समय तक मित्र रहे गौतम लाहिरी ने सात बार सांसद रहे प्रणब के बारे में बताया कि वे रोजाना डायरी लिखा करते थे। लेकिन कार्यक्रमों की इंट्री डायरियों में वे दो दिन पहले कर देते थे। एक बार गौतम ने उनसे उनकी तेज याददाश्त का राज पूछा था तो उन्होंने बताया था कि वे डायरी लिखते हैं कार्यक्रमों के बारे में दो दिन पहले ही लिख देते हैं और उसे याद करने की कोशिश करते हैं। इस तरीके से वे अपने दिमाग को तेज करने की कसरत करते थे। डायरी में एक इंट्री उनकी पोती की थी जिसमें उनकी और तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बातचीत लिखी गई थी।

मनमोहन सिंह संग बातचीत की याद डायरी में पोती की ड्राइंग

प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मनमोहन सिंह उनसे मिलने घर आए थे। प्रणब दा ने अपनी पोती को बुलाया और कहा, 'तुम प्रधानमंत्री से मिलना चाहती थी न, ये पीएम हैं।' उनकी पोती को विश्वास नहीं हुआ और वह वहां से भाग गई। बाद में उस दिन उनकी पोती ने प्रणब दा की पीएम के रूप में एक तस्वीर बनाई। उस तस्वीर को उन्होंने अपनी डायरी में मनमोहन सिंह के साथ अपनी और पोती की बातचीत की याद के तौर पर शामिल कर लिया।

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