मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले का है.

जिस व्यक्ति को मरा हुआ मान लिया गया था उसका अब अलीगढ़ के मलखान सिंह ज़िला अस्पताल में इलाज चल रहा है. हालाँकि अभी उसकी पहचान नहीं हो पाई है और न ही यह पता चला है कि वह कैसे गंभीर रूप से घायल हुआ.

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मामला ये है कि 20 अगस्त को जब उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही मोर मुकुट सिंह ड्यूटी ख़त्म करके घर वापस जा रहे थे तो उन्हें सोफ़ा नहर के पास सड़क किनारे पड़ा एक घायल आदमी दिखा.

सिंह ने खून से लथपथ व्यक्ति को मलखान सिंह ज़िला अस्पताल में पहुंचा दिया. उसकी उम्र 25-30 साल के बीच लग रही थी.

इस अज्ञात घायल को वार्ड नंबर 6 में रखा गया, जिसे 'लावारिस वार्ड' के नाम से भी जाना जाता है. इस वार्ड में सिर्फ़ दो बेड हैं.

डॉक्टरों के पास नहीं जवाब

'मृत' व्यक्ति तीन दिन बाद जिंदा निकला..

लेकिन इस वार्ड में बेसुध पड़े इस शख्स को कैसे मरा हुआ मान लिया गया, इसके बारे में डॉक्टरों के पास कोई सटीक जवाब नहीं है.

अलीगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आर डी खरे ने बीबीसी को बताया, "29 अगस्त की शाम को अस्पताल में एक मरीज़ की मौत हो गई थी, लेकिन डॉक्टरों ने गलती से एक दूसरे अज्ञात मरीज़ को मृत घोषित कर दिया."

वार्ड 6 में बेसुध इस व्यक्ति को मरा हुआ मानकर वार्ड को बंद कर दिया गया, क्योंकि दूसरे बेड पर कोई मरीज नहीं था. जबकि नियमानुसार इसे शवगृह में रखा जाना चाहिए था.

इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इसकी सूचना दे दी. सूचना के करीब 48 घंटे बाद 31 अगस्त की शाम को एक दरोगा दो सिपाहियों के साथ कथित मृत व्यक्ति के शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए अस्पताल पहुंचे.

वार्ड में मिला ज़िंदा

लेकिन वार्ड नंबर 6 का दरवाजा खोलते ही पुलिसवालों के होश उड़ गए. मृत मान लिया गया व्यक्ति बेड के नीचे गंदगी में बैठा हुआ था.

सूत्रों के मुताबिक पुलिसवालों ने उसके लिए पानी और खाने के लिए केले मंगवाए.

व्यक्ति के जीवित होने के कारण पुलिस बल अस्पताल से चला गया.

डॉक्टर खरे ने बीबीसी को बताया, "अब हम इसकी जांच कर रहे हैं कि एक जीवित व्यक्ति को मृत कैसे घोषित कर दिया गया. गलती डॉक्टरों की है."

डॉक्टर खरे ने कहा, " बातचीत से लग रहा है कि घायल व्यक्ति बिहार का रहने वाला है. पर कौन है और कैसे घायल हुआ इस बारे में अभी जानकारी नहीं दे पा रहा है."

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