सरकार का ढिलमुल रवैया
इंडिया में टैक्स विवाद में उलझी वोडाफोन कंपनी का कहना है कि विदेशी कंपनियों के लिये इंडिया में बिजनेस करना मुश्किल है. कंपनी का मानना है कि यहां फाइलें सरकारी महकमों और मंत्रालयों में लंबे समय तक पड़ी रहती है. इसी वजह से प्रस्तावों को जल्द मंजूरी नहीं मिलती है. वोडाफोन इंडिया के प्रमुख मार्टिन पीटर्स ने कहा कि उनकी कंपनी ने अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीदने के लिये अपनी पैरंट्स कंपनी से धन लाने के लिये पिछले साल दिसंबर में सरकार से अनुमति मांगी थी, लेकिन उसे अब तक मंजूरी नहीं मिली.

कंपनी पर 11,200 करोड़ का टैक्स बकाया
मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद किसी विदेशी कंपनी ने इस तरह की बात शायद पहली बार कही है. इकॉनमिस्ट इंडिया सम्मेलन में मार्टिन ने कहा कि हां, इंडिया में कारोबार करना बहुत मुश्किल है. मेरा मानना है कि विदेशी कंपनियों की इंडिया के बारे में यही आम धारणा है और यह केवल टेलिकॉम में ही नहीं, बल्कि अन्य सेक्टर्स में भी है. ब्रिटेन की यह कंपनी इंडिया में टैक्स विवाद में उलझी हुई है. कंपनी को ब्याज सहित 11,200 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना है.

टेलिकॉम इंडस्ट्री में गड़बड़ी
मार्टिन ने कहा कि इंडिया में बिजनेस आरंभ करने की प्रक्रिया को काफी सरल बनाया जा सकता है. फरवरी 2015 में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी और इसके लिये इक्विटी पूंजी जुटाने के बारे में पीटर्स ने कहा कि मेरे पास इसके लिये कोई जवाब नहीं है. पिछले सप्ताह ही मुझे पता चला कि इससे जुड़ी फाइल को देखने वाला अधिकारी रिटायर हो गया है. उन्होंने कहा कि इंडिया में टेलिकॉम इंडस्ट्री में काफी गड़बड़ है. किसी इंडस्ट्री के ढ़ांचे की जवाबदेही सरकार की है. मगर अफसोस कि इस सिस्टम को बदलने की दिशा में इंडिया सरकार ने बहुत कम काम किया है.

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