सुविधाओं के हवाई किले, पर जरूरतें भी नदारद

Meerut : रेल बजट में रेलमंत्री सदानंद गौड़ा ने ट्रेन में आरओ का पानी, ब्रांडेड खाना, डिस्पोजल लेनिन आदि देने के सपने दिखाए, लेकिन हकीकत इनसे कहीं परे है। स्टेशनों पर समस्याओं का अंबार है, बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं। शौचालय, पेयजल, बैठने की व्यवस्था, स्वच्छता, टिकट खिड़कियों की कम संख्या, विश्रामालय में बंद पड़े पंखे आदि इन घोषणाओं को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

सिटी स्टेशन पर दैनिक जागरण ने सुविधाओं की नब्ज टटोली तो सब कुछ चौपट मिला। रेलवे लाइन पार कर लोग बेरोकटोक दूसरे प्लेटफार्म पर पहुंचते हैं। बिना फुट ओवरब्रिज के रेलवे लाइन को पार करना वैसे तो जुर्म है, लेकिन यहां जीआरपी और आरपीएफ दिनचर्या के रूप में लेती हैं। नतीजा रेल पटरी पार करने की खुली छूट में विकलांग भी साथी के कंधों पर सवार होकर दूसरे प्लेटफार्म पर जा पहुंचते हैं।

गंदगी से पटा वाटर टैंक

पीने के पानी के लिए सिटी स्टेशन पर वाटर टैंक लगे हैं, लेकिन इनमें से कई खराब हैं। किसी में टोंटी नहीं तो किसी में पानी नहीं आता। प्रवेश द्वार से दाहिने पर तो गंदगी का भीषण अंबार। काइ और मक्खियों के बीच लोग पानी पीने को विवश दिखे।

प्रतीक्षा गृह में पसीना-पसीना

कूलर तो छोडि़ए यहां प्रतीक्षा गृह में पंखे भी नहीं चलते। लोग हाथों से पंखा झलकर ट्रेनों का इंतजार करते हैं। कई यात्री अपने सामान से टेक लगाए ट्रेन के इंतजार में व्याकुल दिखे।

महिला वेटिंग रूम पर ताला

कहने को तो महिलाओं के लिए सिटी स्टेशन पर अलग से वेटिंग रूम है, लेकिन यह स्टोर में तब्दील हो चुका है। यहां हमेशा ताला लगा रहता है, जिसके चलते महिलाओं को पुरुषों संग ही प्रतीक्षालय में बैठकर ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है।