-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में घूसखोरी, गलत इलाज, मिसबिहेव के आरोपी डॉक्टर्स बरकरार

-सीएमएस की ओर से भेजी गई कार्रवाई की संस्तुति बेकार, किसी की जांच रिपोर्ट नहीं

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की साख सुधारने और बनाए रखने के जिम्मेदार ही इस पर बट्टा लगा रहे हैं। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक व्हाइट कॉलर ने हॉस्पिटल पर ऐसे दाग लगाए हैं जो अब तक नहीं धुले। सरकारी मुलाजिम होने के बावजूद गर्वनमेंट हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर पेशेंट्स से पैसे वसूलने, बाहर से दवाएं मंगवाने और गलत ट्रीटमेंट के साथ ही मिसबिहेव के गंभीर आरोप डॉक्टरों पर लगते आएं हैं। जज की वाइफ को एक्सपायर्ड इंजेक्शन लगाने के मामले में भले ही आरोपी डॉक्टर के खिलाफ डाइरेक्ट्रेट तक मामला पहुंचा हो, लेकिन बाकी केसेज में महज जांच की खानापूर्ति कर सभी मामले रफा दफा कर दिए गए। हालत यह हुई कि ऐसी घटनाओं और आरोपों में लगाम न लगी और जिम्मेदार हर जांच की आंच और कार्रवाई से बचे रहे।

जांच नहीं फॉर्मेलिटी

सितंबर ख्0क्फ् में हॉस्पिटल के कॉर्डियोलोजी विभाग के इकलौते चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। वीपी भारद्वाज पर संगीन आरोप लगे। एक बीएसएफ जवान व एक युवती ने डॉ। भारद्वाज पर इलाज के लिए पैसे ऐंठने के आरोप लगाए। इससे पहले भी आरोपी डॉक्टर के खिलाफ पेशेंट्स से पैसे वसूलने के आरोप लगते रहे। इलाज के लिए घूसखोरी की डिमांड कर रहे आरोपी डॉक्टर को सीएमएस ने क्0 दिन में जवाब देने के लिए नोटिस भेजा, लेकिन तय समय सीमा खत्म होने के बावजूद आरोपी डॉक्टर ने न तो अपना जवाब दिया और न ही उनके खिलाफ कोई जांच पूरी हुई।

इन पर न हुइर् कार्रवाई

हॉस्पिटल के ही एक बेहद चर्चित डॉक्टर हैं, जिन्हें पेशेंट्स को बाहरी मेडिकल स्टोर से दवाएं लिखवाने की आदत रही है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट होने के बावजूद फिजिशियन के तौर पर पिछले महीने तक पेशेंट्स का इलाज करने वाले डॉ। कृष्ण पर कई बार यह आरोप लगे। सीएमएस से लेकर एडी हेल्थ स्तर तक कंप्लेन हुई। आला अफसरान ने फटकार भी लगाई, लेकिन आरोपों से पीछा न छूटा। इनके खिलाफ हॉस्पिटल में दवा-इंजेक्शन होने के बावजूद पेशेंट्स को बाहर की दवाएं प्रिस्क्राइब करने के आरोपों पर जांच शुरू की गई। जांच को साल भर बीतने को है, लेकिन सब ढाक के तीन पात ही रहा।

इलाज में लापरवाही

क्9 जून ख्0क्ब् को एक अपाहिज पेशेंट ने सीएमएस से ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ। टीएस आर्या के खिलाफ गलत इलाज के आरोप लगाए। सुभाषनगर के रहने वाले सुरेश का आरोप था कि साल ख्0क्फ् में पैर में हुए फ्रैक्चर का ऑपरेशन करने के लिए डॉ। आर्या ने 7 हजार रुपए लिए, लेकिन ठीक से ऑपरेशन ना कर उसकी बायीं टांग छोटी कर दी। सुरेश ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ जांच व कार्रवाइ की मांग की। सीएमएस ने लिखित में कंप्लेन देने को कहा, लेकिन अनपढ़ सुरेश लिखित में शिकायत दर्ज नहीं दे सका तो मामला रफा दफा कर दिया।

पेशेंट्स के परिजनों से मिसबिहेव

क्9 जून को ही कर्मचारी नगर के नवीन पांडेय ने सीएमएस से डॉ। अनिल अग्रवाल के खिलाफ कंप्लेन की। आरोप था कि डॉ। अग्रवाल ने पेट दर्द की जबरदस्त तकलीफ में होने के बावजूद उनके बेटे को इमरजेंसी में एडमिट करने से मना कर दिया। वहीं एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराने की सलाह दी। डॉक्टर के रवैये से दुखी नवीन पांडेय व उनकी वाइफ ने जब मना किया तो आरोपी डॉक्टर ने उनसे मिसबिहेव किया। सीएमएस ने कंप्लेन पर तीन में कमेटी बिठाकर मामले की जांच करने व कार्रवाई की बात कही। सात दिन बाद भी न तो कमेटी बनी न जांच हुई।

मासूम की मौत में मजाक

फीमेल हॉस्पिटल में भी साल ख्0क्फ् में लापरवाही और संवेदनहीनता का एक मामला देखने को मिला। क्ब् अक्टूबर ख्0क्फ् को मल्लपुर के रहमत अली अपनी प्रेग्नेंट वाइफ गुडि़या को लेकर फीमेल हॉस्पिटल में आए। लेबरपेन शुरू होने पर मेडिकल स्टाफ व डॉक्टर को सूचना भिजवाई गई, लेकिन रात भर किसी ने सुध नहीं ली। बच्चा फर्श पर गिरकर मर गया ,लेकिन जिम्मेदार नहीं चेते। सीएमएस ने लापरवाही पर एक आया व स्वीपर को सस्पेंड कर दिया, लेकिन आरोपी डॉक्टर शिल्पी के खिलाफ जांच व कार्रवाई की कवायद कागजी रस्म बनकर रह गई।

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जिन डॉक्टर्स पर आरोप लगे उनके खिलाफ जांच व कार्रवाई कराने की रिपोर्ट बड़े अधिकारियों को दी गई। डॉक्टर्स पर कार्रवाई करने का अधिकारी शासन स्तर को ही है। मैं अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए रिपोर्ट देता हूं। - डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस