सिलीगुड़ी (एएनआई)। दिवाली आने में अब बस ही कुछ ही दिन बच गए हैं। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी इलाके में कुम्हार काफी उत्साहित हैं क्योंकि मिट्टी के दीये की मांग फिर से बढ़ गई है। दरअसल, चाइनीज लाइट और लैंप के कारण दिवाली में मिट्टी के दीये का उपयोग काफी कम हो गया था, जिसके चलते कुम्हारों को एक तरह से देश में मंदी का सामना करना पड़ा। कुम्हारों ने बताया की इस पूरे साल में मिट्टी के दीयों की मांग अधिक रही है लेकिन दिवाली से पहले इसकी डिमांड में तेजी से और बढ़ोतरी हुई है।

काफी व्यस्त हैं कुम्हार

कस्बे के एक कुम्हार ने शुक्रवार को एएनआई से बात करते हुए कहा, 'दिवाली पर लोग अपने घरों को रोशनी, फूलों और मिट्टी के दीयों से सजाते हैं। इसलिए, ट्रेडिशनल मिट्टी के दीये की मांग बढ़ रही है।' इसके अलावा एक अन्य कुम्हार, जो इन दिनों प्रति 1,000 दीयों पर 300 रुपये कमा रहा है, उसने मीडिया को बताया कि वे बहुत व्यस्त हैं और इस साल दिवाली की मांगों को पूरा करने के लिए मुश्किल से दीयों का प्रबंध कर रहे हैं। उसने कहा, 'इससे पहले चाइनीज लाइट्स की वजह से मिट्टी के दीयों की मांग कम हो गई थी, इसको लेकर बाजार में मंदी भी झेलनी पड़ी लेकिन पारंपरिक तरीके की फिर से वापसी हो गई है।इस साल मिट्टी के दीयों की मांग बहुत अच्छी है।'

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कच्चे मालों की बढ़ी कीमतों से कुम्हार परेशान

दूसरी ओर, पालपारा गांव में तीन सौ से अधिक मिट्टी के दीये बनाने वालों को कम कीमत और कच्चे माल के बढ़े दामों की वजह से बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के एक कुम्हार ने कहा, 'व्यापार को बनाए रखने के लिए मिट्टी के दीयों की कीमत पर्याप्त है। लेकिन आवश्यक कच्चे माल की लागत में काफी वृद्धि हुई है। वे पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुने हैं।' बता दें कि दीपावली भारत में सबसे व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह त्योहार इस साल 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन, लोग अपने घरों को पारंपरिक दीयों से सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं।

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