ड़ा सुनिति सोलोमन ने 1986 में चेन्नई की एक फीमेल सेक्स वर्कर में एड्स का पता लगाया था. तब से अब तक डाक्टर सोलोमन ने एड्स को इंडिया से खत्म करने का बीड़ा उठा रखा है.

सोलोमन के मुताबिक जब उन्होने पहला केस डिटेक्ट किया तो डाक्टर्स और हेल्थ प्रोफेशनल्स ये मानने को तैयार नहीं हुए कि महिला को वाकई एड्स जैसी लाइलाज बीमारी है. उस वक्त सोलेमन ने ही अपने कलीग्स के साथ मिलकर इस बीमारी के बारे में सारी दुनिया को अवेयर किया था.

दरअसल एड्स की यह बीमारी बाहर से आई थी और चेन्नई में उस वक्त फारेनर्स का आना जाना लगा रहता था. बड़ी तेजी से यह बीमारी फीमेल प्रास्टीट्यूट्स से होते हुए लोगों के बीच फैल गई. पहला केस डिटेक्ट होने तक एड्स काफी ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका था. 1987 में एड्स को कन्ट्रोल करने के लिये आल इंडिया लेवल पर नेशनल एड्स कन्ट्रोल प्रोग्राम चलाया गया पर तब तक काफी देर हो चुकी थी. 

डाक्टर सोलोमन के मुताबिक उस वक्त डाक्टर्स भी इस बीमारी को लेकर काफी कन्फ्यूज थे और इस वजह से पीड़ितों को सही ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता था. उनके मुताबिक स्थितियां अभी भी अच्छी नहीं हैं. एड्स पीड़ितो के साथ हो रहे इस अन्याय को देखते हुए ही उन्होने Y.R. Gaitonde Center की शुरूआत की. उनके मुताबिक यहां उन वे उन एड़्स पीड़ितों का इलाज होता करती हैं जिनको बाकी सारी जगहों से निराश कर दिया जाता है. 

डॉक्टर सोलेमन इस समय एड्स सोसाइटी आफ इंडिया की प्रेसीडेंट भी हैं. उन्हे एड्स पर किये गए उनके काम के लिये 2005 में तमिलनाडु एड्स कन्ट्रोल सोसाइटी की ओर से लाइफटाइम एचीवमेंट एवार्ड भी दिया जा चुका है.

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