कहानी :
औरत की किरदार में ढल चुका एक मर्द कैसे पीछा छुड़ाता है अपने चाहने वालों से यही है फिल्म की कहानी

समीक्षा :
सब्जेक्ट बोल्ड है और कहानी नेवर टोल्ड है इस बात का फायदा ड्रीम गर्ल को पहले ही सीन से होता है। एक के बाद एक मेल शॉवनिस्ट सोसाइटी में औरत और उसकी पोज़िशन पे एक सोशल कॉमेंट्री शुरू होती है बड़े ही फन अंदाज़ में और चुटकुलों के लम्ब्रेटा पे चल पड़ती है ड्रीमगर्ल पूजा। फर्स्ट हाफ मजेदार है और आपको सीट से बांध के रखता है। जोक्स कंसिस्टेंटली फनी हैं इसलिए दर्शक खूब मजे लेते हैं पर बधाई हो या विकी डोनर की तरह फिल्म हार्ड हिटिंग नहीं है। मुद्दे तो बहुत उठाती है पर किसी भी मुद्दे को ठीक से डील नहीं कर पाती। समस्याएं सेकंड हाफ में दिखने लगती हैं और स्कूटर पंचर हो जाता फिर ड्रीमगर्ल की गाड़ी को टिपिकल कपिल शर्मा जोक्स का धक्का लगाना शुरु हो जाता है। जोक्स रिपीट होने लगते हैं और प्रोग्रेसिव फिल्म रिग्रेसिव होने लगती है और आप अगर आंख बंद करें तो ऐसा लगेगा कि आप टीवी की कोई कॉमेडी नाईट का ऑडियो सुन रहे हों। फिल्म का टेक्निकल हिस्सा अच्छा है पर सेकंड हाफ की राइटिंग बेहद दोयम दर्जे की है, पर अगर आप टीवी की कॉमेडी के फैन हैं तो आपको वो भी अच्छी लगेगी।

अदाकारी :
आयुष्मान ही वो सिल्क का पैच हैं जो सैकंड हाफ की छीछालेदर राइटिंग पर पैबंद का काम करते है। फ्रैंकली इस फिल्म को वो अपने कंधों पर ढोने का काम बखूबी करते हैं। कास्टिंग ओवरआल बढ़िया है, सब अपना काम ठीक से ही करते हैं।

 



वर्डिक्ट :
फिल्म का सेकंड हाफ अगर अच्छा लिखा हुआ होता तो फिल्म तिलिस्मी हो सकती थी पर फिर भी अगर एक माइंडलेस कॉमेडी देखने का मन हो तो फिल्म बुरी नहीं है। आयुष्मान के लिए एक बार जरूर देखिए ड्रीमगर्ल।

बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : 70 से 80 करोड़

रेटिंग : 3.5 स्टार

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