कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। इस पर्व को भगवती के "विजया" नाम के कारण भी विजयादशमी कहते हैं। कालिका पुराण के अनुसार महानवमी को रावण वध हुआ था, कृतज्ञता प्रकट करने के लिए देवताओं ने उस दिन देवी की सेवा में विशेष पूजन सामग्री चढ़ाई थी, तदन्तर विजयादशमी के दिन इन्होंने देवी को स्थापित किया था। इस दिन अबूझ मुहुर्त माना जाता है। इस दिन की विशेष बात यह है कि इस दिन अमृत योग भी बन रहा है।

नीलकण्ठ पक्षी देखना शुभ
इस दिन नीलकण्ठ नामक पक्षी के दर्शन करना अत्यन्त शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को इस दिन नीलकण्ठ का दर्शन हो जाये तो आगामी एक वर्ष आर्थिक उन्नति, समृद्धि, सम्पन्नता और आरोग्य में व्यतीत होता है।

शस्त्र पूजन का भी महत्व
आज के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी शमी वृक्ष के पास जाकर विधिवत् शमीदेवी का पूजन करना चाहिए। इस दिन क्षत्रियों द्वारा "शस्त्र पूजन", ब्राह्मणों द्वारा "सरस्वती पूजन" एवं वैश्यों द्वारा "वही पूजन" करने का विधान है।

कार्तिक के महीने में दसवें दिन
विजयदशमी, जिसे दशहरे के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो हर साल नवरात्रि के अंत में पूरे भारत में मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन या कार्तिक के महीने में दसवें दिन मनाया जाता है। त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है और हर जगह एक अनोखे तरीके से मनाया जाता है। दक्षिण, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में, इसे दुर्गा पूजा के रूप में कहा जाता है और भैंस दानव, महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को याद किया जाता है। यह वह मार्ग है जिसे देवी दुर्गा ने धर्म की पुनर्स्थापना और रक्षा के लिए लिया था।

अलग-अलग महत्व
उपमहाद्वीप के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में, त्योहार दशहरा के रूप में जाना जाता है। इन क्षेत्रों में, यह रामलीला के अंत का प्रतीक है और राक्षस राजा, रावण पर भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है। उसी दिन या अवसर पर, अर्जुन ने पूरे कुरु वंश का सर्वनाश कर दिया जिसमें भीष्म, द्रोण, अश्वत्थामा और कर्ण जैसे योद्धा शामिल थे। त्योहार के पीछे सभी कहानियों में बुराई (धर्म) पर अच्छाई (धर्म) की जीत आम है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।