आई-एनालेसिस

विधानसभा चुनाव लडे़, तो सीएम बनने के पूरे चांस

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-भगतदा, त्रिवेंद्र, हरक जैसे नेताओं से होगी दिक्कत

-साफ सुथरी इमेज के कारण मोदी-शाह की गुड बुक में

DEHRADUN: बीजेपी के अंदरूनी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। ये चर्चाएं बहुत मजबूत है, कि ढाई साल पुराने भाजपाई सतपाल महाराज विधानसभा चुनाव लडे़ंगे। उनकी सीटें भी उभर रही हैं। या तो बद्रीनाथ या फिर चौबट्टाखाल। राजनीतिक जानकारों के मुताबित, ऐसा होता है, तो फिर महाराज ही सीएम पद के सबसे मजबूत दावेदार होंगे। महाराज भी हाईकमान के संकेतों को समझते हुए पार्टी के बाहर और भीतर सक्रियता बढ़ा रहे हैं। इस सक्रियता ने बीजेपी में नए-पुराने सभी नेताओं को बेचैन कर दिया है।

नए-पुरानों के साथ छत्तीस का आंकड़ा

सतपाल महाराज को बीजेपी में मिल रही तवज्जो के बीच नए और पुराने तमाम ऐसे नेताओं से महाराज के हित टकराने लगे हैं, जिनकी ठाकुर वोटरों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। भगत सिंह कोश्यारी, त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे पुराने बीजेपी नेताओं के साथ इस वजह से महाराज की रिश्ते सामान्य नहीं हैं, वहीं, दूसरी तरफ, हाल ही में बीजेपी में आए हरक सिंह रावत के साथ महाराज की राजनीतिक दुश्मनी का इतिहास पुराना है। सियासी संग्राम के दौरान भगतदा के साथ महाराज की तल्खियों ने तब ही साफ जाहिर कर दिया था, कि आने वाले दिनों में बीजेपी के भीतर हितों का टकराव बढे़गा।

साफ छवि, शाह-मोदी का नरम रुख

उत्तराखंड की सियासत में अपने तमाम दिग्गज नेताओं को हाशिये पर बीजेपी का हाईकमान भेज चुका है। भले ही इस चुनाव में वह किसी चेहरे को आगे नहीं कर रहा है, लेकिन जैसे ही रिजल्ट सामने आएंगे और बीजेपी की सरकार बनने की स्थिति बनेगी, तब के लिए कुछ नेताओं को पार्टी आगे बढ़ाना चाहती है। सतपाल महाराज इसमे सबसे आगे माने जा रहे हैं। महाराज यदि चुनाव लड़ते हैं, तो ये अनुमान और पुख्ता हो जाएगा। ढाई दशक से ज्यादा समय से राजनीति कर रहे सतपाल महाराज की इमेज साफ मानी जाती है। इसी वजह से वह मोदी-शाह की गुडबुक में हैं।

पुराना भाजपाई न होना माइनस प्वाइंट

सतपाल महाराज के खिलाफ यदि एक कोई बात सबसे ज्यादा खिलाफ जाती है, तो वह ये ही है कि वह पुराने भाजपाई नहीं हैं। ख्0क्ब् में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी। बागी विधायकों के मुकाबले उनकी सीनियरटी है, लेकिन पार्टी के बाकी नेताओं के आगे वह नए-नवेले ही है। बीजेपी वर्करों के साथ भी उन्हें पटरी बैठाने में मेहनत करनी पड़ रही हैं।

बड़ी जिम्मेदारी देने की होती रही है बात

बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, सतपाल महाराज को कई मौकों पर अध्यक्ष अमित शाह बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कह चुके हैं। इससे पहले, मार्च माह में सियासी संग्राम के दौरान भी महाराज को कांग्रेस में अपने समर्थक विधायकों से संपर्क साधकर उन्हें बीजेपी में लाने की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि तब वे सफल नहीं हो पाए थे।

बद्रीनाथ और चौबट्टाखाल में मजबूती

वर्ष 89 से चुनावी राजनीति में सक्रिय महाराज की चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में सबसे ज्यादा मजबूती मानी जाती है। महाराज को इन दो जिलों से ही सबसे ज्यादा वोट मिलते थे। बद्रीनाथ सीट पर महाराज लड़ते हैं, तो दोनों जिलों की अन्य सीटों तक इसका प्रभाव जाएगा। दूसरी तरफ, चौबट्टाखाल सीट के अंतर्गत महाराज का गृह ब्लॉक एकेश्वर हैं, जहां पर उनकी बेहद पकड़ है।