- स्मार्ट सिटी के लिए एसपीवी का गठन, कमिश्नर चेयरमैन और नगर आयुक्त बने सीईओ

- जल्द होगी बोर्ड की मीटिंग, कंसल्टेंट कंपनी होगी फाइनल

KANPUR : स्मार्ट सिटी की दिशा में अब कदम तेजी से बढ़ गए हैं। इसके लिए एसपीवी (स्पेशल परपज व्हीकल) यानी कानपुर स्मार्ट कंपनी लिमिटेड का कंपनी एक्ट में रजिस्ट्रेशन करा लिया गया है। इस बाबत केंद्रीय कंपनी मामलों के मंत्रालय ने नगर निगम को सर्टिफिकेट भी दे दिया है।

शहर को स्मार्ट बनाने की आखिरी बाधा खत्म हो गई है, नगर निगम ने जिस बोर्ड के गठन का प्रस्ताव केन्द्र को दिया था, उसे स्वीकृति मिल गई है। अब यही कंपनी शहर को हाईटेक व स्मार्ट बनाने के प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू करेगी। कानपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (केएससीएल) के बोर्ड का गठन नवम्बर महीने में कर दिया गया था। प्रस्ताव मिलने के बाद केंद्र ने कंपनी के नौ सदस्यीय बोर्ड को लिखित तौर पर मंजूर कर लिया है।

बोर्ड की पहली बैठक की तैयारी शुरू बोर्ड की पहली मीटिंग की तैयारी भी शुरू हो गई है। हालांकि अभी तारीख नहीं तय हो सकी है। जिसके निर्धारण के लिए बोर्ड के सभी मेम्बर्स को लेटर भेजा जा रहा है। पहली मीटिंग में दो और मेम्बर्स भी नामित किए जाएंगे।

चेयरमैन कमिश्नर और नगर आयुक्त सीईओ

बोर्ड के चेयरमैन कमिश्नर मो। इफ्तेखारुद्दीन हैं और नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह सीईओ हैं। बोर्ड में चेयरमैन के अलावा अन्य सभी सदस्य हैं। प्रशासनिक कार्य देखने के कारण नगर आयुक्त का पद सीईओ का होगा। बाकी सात सदस्यों में नगरीय निकाय निदेशालय के निदेशक, केडीए वीसी, चीफ इंजीनियर केस्को, चीफ इंजीनियर जल निगम, असिस्टेंट प्लानर नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, क्षेत्रीय पर्यावरण अध्ययन केंद्र के निदेशक व एसपी ट्रैफिक हैं। हालांकि सभी मेम्बर्स पद के साथ नाम से हैं। इनमें से यदि किसी का ट्रांसफर होगा तो बोर्ड मीटिंग में उसी पद पर आए नए अफसर मेम्बर होंगे। ।

कंसल्टेंट कंपनी फाइनल होगी

बोर्ड की पहली बैठक में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट पर चर्चा के बाद स्वीकृति होगी। वही कंसल्टेंट कंपनी की यह जिम्मेदारी होगी कि वह सिटी को स्मार्ट करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार करेगी। कंसल्टेंट कंपनी ही सर्वे से लेकर अन्य सभी कार्य करेंगे। नए सिरे से परियोजनाएं तैयार करेंगे। बताते चलें कि कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए नगर निगम ने 2.16 लाख रुपए कॉरपोरेट वेलफेयर मिनिस्ट्री के खाते में जमा कराए थे। इसमें 1.59 लाख रुपए केवल रजिस्ट्रेशन के लिए थे जबकि बाकी रकम बोर्ड के सभी सदस्यों के डिजिटल सिग्नेचर के लिए के लिए जमा कराए गए थे।