-मेडिकल कॉलेज की न्यायिक सुनवाई में पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव से पूरी हुई जिरह

-कहा बवाल काबू नहीं करता तो साम्प्रदायिक दंगा भड़क जाता और उपद्रवी कॉलेज के अंदर भी घुस सकते थे

- मेडिकल स्टूडेंट्स का मेडिको लीगल करने वाले डॉक्टरों और हैलट के आईसीयू प्रभारी भी हुए आयोग के सामने पेश

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KANPUR(19july)

मेडिकल कॉलेज बवाल की न्यायिक सुनवाई के आखिरी दौर में सैटरडे को पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव से जिरह पूरी हो गई। जिरह के बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर से बातचीत में पूर्व एसएसपी ने दावा किया कि मैंने डॉक्टरों को मारा नहीं बल्कि उन्हें बचाया था, नहीं तो वहां दंगा हो जाता। वहीं बयान और जिरह के आखिरी दिन पुलिस पक्ष की ओर से मेडिकल स्टूडेंट्स की चोटों और उन्हें आईसीयू में भर्ती किए जाने पर कई सवाल उठाए गए।

मैंने जो किया सही किया

जिरह के बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर से बातचीत में पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव ने अपनी कार्रवाई को पूरी तरह से सही ठहराया। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्होंने डॉक्टरों को मारा नहीं बल्कि उन्हें बचाया है। लेकिन वो इस बात का जवाब नहीं दे सके कि अगर वो बचाने गए थे तो किसकी कमर तोड़ने की बात लाउडस्पीकर पर उन्होंने बोली थी। अगर कमर तोड़ने की बात मुहावरे के तौर पर बोली थी तो भी जिसे बचाना हो उसके लिए ये मुहावरा नहीं बोला जाता। और अगर बचाने में लोगों के हाथ पैर तोड़े जाते हों, लैपटॉप कूंचा जाता हो, बाइक्स तोड़ दी जाती हों, किताबें फाड़ दी जाती हों तो फिर बेहतर था वो स्टूडेंट्स को न बचाते।

विधायक समर्थकों ने थाने में कोई तोड़फोड़ नहीं की

यशस्वी यादव ने यह भी कहा कि विधायक समर्थक इरफान की हत्या की अफवाह पर वहां पहुंच रहे थे। जब उन्हें बताया गया कि विधायक सही सलामत है तो वह शांति पूर्वक चले गए। यहां तक कि पूर्व एसएसपी ने हैलट और स्वरुप नगर थाने में की गई विधायक समर्थकों की तोड़फोड़ को भी सिरे से खारिज कर दिया जिसे बवाल वाले दिन की कवरेज में सभी समाचार पत्रों ने फोटो के साथ पब्लिश किया था।

आईसीयू में भर्ती करने लायक चोटें नहीं थी

पुलिस पक्ष के वकीलों की मांग पर कल्याणपुर सीएचसी के डॉ। अमित सिंह गौर और डॉ। अनुराग राजौरिया भी सैटरडे को आयोग के सामने पेश हुए। इन्हीं दोनों ने बवाल के बाद गिरफ्तार किए गए मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉ। आरपी शर्मा का मेडिको लीगल किया था। पुलिस पक्ष के वकील बीडी मिश्रा ने बताया कि मेडिकल स्टूडेंट्स की इंजरी रिपोर्ट में ज्यादा चोटें दिखाई गई थी जबकि ऐसा असल में नहीं था।

कई मेडिकल स्टूडेंट्स को फौरन इलाज की थी जरुरत

डॉ। अनुराग राजौरिया ने बताया कि मेडिको लीगल के समय भ् स्टूडेंट्स ऐसे थे जिन्हें फौरन इलाज की जरुरत होने पर रेडियो डायग्नोसिस के डॉक्टर को उर्सला में रेफर किया था। इसके अलावा डॉ। आरपी शर्मा को भी कार्डियोलॉजी रेफर किया क्योंकि उनकी हालत बेहद खराब थी। वहीं हैलट के आईसीयू इंचार्ज डॉ। आरके मौर्या ने आयोग को बताया कि जो स्टूडेंट्स आईसीयू में भर्ती हुए थे। उन्हें ऐसी इंजरी नहीं थी कि आईसीयू में रखा जाता, लेकिन वार्डो में जगह नहीं होने और आईसीयू खाली होने के कारण उन्हें भर्ती कर लिया गया।