कोर्ट ने लगा दी थी अधिकार पर मोहर

जिसके बाद कोर्ट ने भी उसके इस अधिकार पर मोहर लगा दी. ऐसा करने वाली वह पहली लड़की थी. देश में यह अपनी तरह का पहला मामला था जब किसी लड़की के बाल विवाह को न मानने को कानूनी मान्य ता मिली. जोधपुर में हुई लक्ष्मी की शादी में परिवार के सदस्यों समेत कोई डेढ़ सौ लोगों ने हिस्सा लिया. 19 साल की इस लड़की का विवाह 23 साल के महेन्द्र सरगारा के साथ हुआ.

लक्ष्मी की कहानी

लक्ष्मी की उम्र महज एक बरस थी जब उसके पिता तेजा राम सरगारा और मां सुकड़ी ने उसे तीन साल के एक लड़के के साथ ब्याह दिया. अपनी शादी से अनजान लक्ष्मी को 18 साल की होने पर झटका लगा. जब उसके माता-पिता ने बताया कि उसके ससुराल जाने का वक्त आ गया है.

उसने ससुराल जाने से कर दिया था इनकार

उसने ससुराल जाने से इनकार कर दिया और एक एनजीओ के पास जा पहुंची. जिसने उसकी कानूनी तौर पर अपनी शादी रद़द करवाने में मदद की. महेन्द्र से उसकी और उसके परिवार की मुलाकात एक पड़ोसी के यहां विवाह समारोह में हुई. लक्ष्मी जबर्दस्ती ब्याह दी जाने वाली लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण की तौर पर उभरी है और उसे उम्मीद है कि अब वह नई जिंदगी गुजार सकेगी.

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