कुछ ऐसी है जानकारी
सुनकर आपको भी हैरानी हो रही होगी, लेकिन ये तो कपित सिब्बल के अंदर की छिपी हुई प्रतिभा ही थी, जो देर में ही सही लेकिन अब बाहर निकल आई है. दरअसल उन्होंने बॉलीवुड में आने वाली फिल्म 'जैनब' के लिए एक नहीं बल्कि पांच गाने लिखे हैं. इन गानों में से एक 'आइटम नंबर' भी है. इसके बोल हैं 'मस्त मस्त हवा...'. इस आइटम सॉन्ग को नए कलाकार प्रनव सिंह के ऊपर फिल्माया गया है. आपको बताते चलें कि कपिल सिब्बल के लिए ये काम पहली बार का  नहीं है. इससे पहले भी वह गाने लिख चुके हैं. सबसे पहले इन्होंने फिल्म 'बंदूक' के लिए एक गाना लिखा था. यही नहीं उनका लिखा गीत 'तू बता दे...' काफी मशहूर भी हुआ था.

मुजफ्फरनगर दंगों पर आधारित है फिल्म 'जैनब'
फिल्म 'जैनब' उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों पर आधारित है. इस फिल्म में जिमी शेरगिल, आशुतोष राणा और टर्किश एक्ट्रेस सुहा गेंजेंटो मुख्य भूमिका में नजर आएंगे. पेशे से वकील कांग्रेसी नेता सिब्बल ने 'आइटम सॉन्ग' लिखने को लेकर बताया कि आजकल दर्शकों की डिमांड पर प्रोड्यूसर्स को फिल्मों में आइटम नंबर्स चाहिए. इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने फिल्म के लिए आइटम सॉन्ग लिखा. उन्होंने कहा कि फिल्म के जरिए उन्होंने खुशी, मानवता और सौहार्द का संदेश दर्शकों को देने की कोशिश की है. फिल्म में म्यूजिक की कंपोजिंग ललित पंडित ने दी है. यही नहीं दिल्ली में फिल्म का पोस्टर रिलीज होने के मौके पर एक गाने पर डांस का कार्यक्रम भी रखा गया. कार्यक्रम के दौरान जिस गाने पर डांस हुआ वह गाना भी कपित सिब्बल का ही लिखा हुआ था.

कपिल ए आर रहमान का भी दे रहे साथ
अब तक दो फिल्मों के लिए गानों को लिख चुके सिब्बल ऑस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान के साथ भी काम कर रहे हैं. अपने एलबम 'रौनक' के लिए उन्होंने सात गानों के बोल लिखे हैं. एस एलबम में संगीत दे रहे हैं रहमान. इसको लेकर सिब्बल कहते हैं कि वह बॉलीवुड की और फिल्मों के लिए गीत लिखने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं. ये भी आपको पता नहीं होगा कि कपिल सिब्बल गानों के बोल लिखने के साथ-साथ शायरी के बहुत बड़े शौकीन हैं. कई मौकों पर उन्होंने अपनी शायरियों से समां भी बांधा है.

सुप्रीम कोर्ट में जब सुनाई शायरी
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वकालात के दौरान उन्होंने कई बार सुनवाई के समय भी शायरी सुनाई हैं. यही नहीं एक बार तो उन्होंने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की पैरवी करते हुए भी सुप्रीम कोर्ट को शायरी सुनाई थी. अब इसे उनकी शायरी का असर समझ लें या कुछ और कि सुब्रत राय को मोहलत मिल गई थी. जानन चाहेंगे आप कि उन्होंने उस समय कोर्ट में क्या कहा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस सीकरी से कहा कि मीलॉर्ड, रोज की ये जंग है, कहीं कटी पतंग है. मौका मिला फिर लगा रास्ता तो तंग है. यही नहीं उनकी इस बेबाक शायरी पर जस्टिस सीकरी ने भी हंसते हुए जवाब दिया कि दर्द की यूं आदत हो गई है, जिस दिन न भी मिले तो भी दर्द-सा होता है और फिर क्या था, उसके बाद सुब्रत रॉय को मोहलत दे दी गई.

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