फ़्रांस ने इस पर तीखा विरोध दर्ज कराया है और इसे पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है.

अमरीका और फ्रांस के रिश्तों में ये तल्ख़ी ऐसे समय में महसूस की जा रही है जब अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी पैरिस के दौरे पर हैं.

अमरीकी जांच एजेंसी द्वारा अपनी जासूसी किए जाने के दावों से नाराज़ फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवां ओलांद से अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बात की है.

जासूसी के दावों पर नाराज़गी जताते हुए फ़्रांस की सरकर ने कहा कि अगर एक सहयोगी देश फ़्रांस और अन्य यूरोपीय देशों की जासूसी करेगा, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

'दोस्त है फ़्रांस'

फ़्रांस की सरकार ने इस बारे में विरोध दर्ज करने के लिए अमरीकी राजदूत को भी तलब किया.

लेकिन अमरीकी विदेश मंत्री कैरी ने इस विवाद को ज्यादा तूल दिए बिना कहा कि फ़्रांस अमरीका के सबसे पुराने दोस्तों में से एक हैं, लेकिन अमरीका को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कई क़दम उठाने होते हैं.

"हमारा लक्ष्य हमेशा सुरक्षा बनाए रखने और अपने नागरिकों की निजता के बीच एक संतुलन कायम करना है और ये काम जारी रहेगा और यहां फ्रांस में अपने मित्रों के साथ हमारा विचार विमर्श भी चलता रहेगा."

-जॉन कैरी, अमरीकी विदेश मंत्री

उन्होंने कहा, “जैसा कि राष्ट्रपति ओबामा ने कहा, अमरीका में हम खुफ़िया जानकारी जुटाने के तौर तरीकों की समीक्षा कर रहे हैं. और मुझे लगता है कि ये सही है. हमारा लक्ष्य हमेशा सुरक्षा बनाए रखने और अपने नागरिकों की निजता के बीच एक संतुलन कायम करना है और ये काम जारी रहेगा और यहां फ़्रांस में अपने मित्रों के साथ हमारा विचार विमर्श भी चलता रहेगा.”

फ़्रांसीसी नागरिकों की जासूसी किए जाने के ये दावे अमरीकी ख़ुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडन की तरफ़ से लीक की गई जानकारी पर आधारित हैं. इनके मुताबिक़ अमरीकी सुरक्षा एजेंसी ने अधिकारियों, कारोबारियों और संदिग्ध चरमपंथियों पर नज़र रखी. फ़्रांस के प्रधानमंत्री ज्यौं मार्क अयरा ने ले मोंदे में छपी रिपोर्ट पर गहरी नाराजगी जताई.

सिर्फ़ दिखाने के लिए

अमरीका ने फ़्रांस के करोड़ों फ़ोन टैप किए: फ़्रांस में गुस्साफ़्रांस के कड़े रुख के बाद व्हाइट हाउस ने अपनी प्रतिक्रिया मे कहा कि जासूसी गतिविधियां तो सभी देश चलाते हैं और अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने इसे अपने नागरिकों की सुरक्षा से जोड़ा. लेकिन ‘ले मोंदे’ अख़बार के उप संपादक रेमी ओरदान का कहना है कि ये निगरानी उससे भी परे चली गई जो कुछ राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किया जाता है.

उधर पैरिस में बीबीसी संवाददाता क्रिस्टियान फ्रेसर का कहना है कि फ़्रांस सरकार की नाराज़गी सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए है, वरना फ़्रांस में भी सरकार अमरीका जैसा ही जासूसी अभियान चला रही है.

जुलाई में ले मोंदे ने ही ख़बर दी थी कि फ़्रांस सरकार अपने नागरिकों से जुड़ी निजी जानकारियों को एक सुपर कंप्यूटर पर सेव कर रही है.

फ़्रांसीसी नागरिकों की जासूसी से जुड़ा मामला सामने आने से पहले जर्मन मीडिया में ख़बर छपी थी कि अमरीकी एजेंटों ने मैक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति फेलिप काल्ड्रोन का ईमेल हैक कर लिया था.

वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है जब अमरीका पर जासूसी करने के आरोप लगे हैं. पिछले दिनों उस पर ब्राज़ील की जासूसी के आरोप भी लगे थे जिसके बाद ब्राज़ील की राष्ट्रपति दिल्मा रुसेफ़ ने अपनी अमरीकी यात्रा ही रद्द कर दी थी.

International News inextlive from World News Desk