आइए जानते हैं और क्या कुछ कहा गौरव ने बीबीसी से बातचीत के दौरान.

अपने बारे में कुछ बताइए कि आपने कहां से पढ़ाई की, क्या पारिवारिक पृष्ठभूमि थी और किस तरह आप इस मुक़ाम तक पहुंचे?

गौरव अग्रवाल: मैं जयपुर का रहने वाला हूं. मेरे पिता श्री एसपी गुप्ता जयपुर डेयरी केंद्र में मैनेजर हैं और मेरी मां गृहिणी हैं. मेरी एक बड़ी बहन हैं, जिनकी शादी हो चुकी है और वो इस समय अमरीका में हैं. मेरे जीजाजी  माइक्रोसॉफ्ट में काम करते हैं.

मैंने अपनी शुरुआती पढ़ाई जयपुर के एडमंड्स स्कूल से की. उसके बाद मैंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में पूरे भारत में मेरी 45वीं रैंक आई थी.  आईआईटी के बाद मैंने आईआईएम लखनऊ से एमबीए किया. आईआईएम में मुझे गोल्ड मेडल मिला.

इसके बाद मैंने क़रीब चार साल तक हाँग-काँग में सिटी ग्रुप में काम किया. मैं इनवेस्टमेंट बैंकिंग में काम करता था. मैंने वहां 2011 के अंत तक काम किया. उसके बाद वो जॉब छोड़कर आईएएस की तैयारी करने लगा.

पिछले साल पहले प्रयास में मेरी 244 रैंक आई. इसके बाद मुझे राजस्थान कॉडर में  आईपीएस मिला और फिर इस साल पहली रैंक आ गई.

परीक्षा में कामयाबी

गौरव का मानना है कि अपनी कमजोरियों का सामना करके बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है.

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आप इतने प्रतिभावान छात्र रहे हैं. आपने किस तरह से पढ़ाई की और कितनी मेहनत की?

गौरव अग्रवाल: देखिए, मेहनत तो सभी करते हैं. मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आम तौर पर इस तरह की परीक्षाओं में हमें कभी भी दूसरों से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए. हमें बस अपने आप को और बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए. तो हर रोज़ अपने आप से प्रतिस्पर्धा कीजिए.

दूसरी बात ये कि अगर आपको कभी भी अपनी किसी कमी के बारे में पता चलता है तो उसे छिपाने या उससे डरने के बजाए उनको स्वीकार कीजिए और उनमें सुधार लाने की कोशिश कीजिए. अपनी पूरी मेहनत कीजिए और फिर जो होना होगा, देखा जाएगा.

आप इस सफलता के पीछे क्या वजह मानते हैं?

गौरव अग्रवाल: सफलता के पीछे मेहनत तो एक वजह होती ही है. इसके अलावा अपने घरवालों और दोस्तों का पूरा सहयोग था और फिर क़िस्मत होती है.

भारतीय पुलिस

भारतीय प्रशासनिक सेवा को काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है.

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माता-पिता से कितना बड़ा सहयोग मिला?

गौरव अग्रवाल: बचपन से लेकर आज तक उन्होंने ही प्रोत्साहित किया. पापा मेरी और मेरी बहन की पढ़ाई में काफ़ी रुचि लेते थे. आईएएस की पढ़ाई में भी पापा ने काफ़ी साथ दिया. मेरे मौसा जी और मेरे फूफा जी ने भी मेरा मार्गदर्शन किया. सबके साथ और सबके आशीर्वाद से ही इस तरह की सफलता मिल पाती है.

इतने साल तक आपने निवेश बैंकर तक काम किया. मेरा आकलन है कि आपको विदेश में अच्छा-ख़ासा वेतन मिल रहा होगा. तो आपने प्रशासनिक सेवा में जाने का फ़ैसला क्यों किया?

गौरव अग्रवाल: प्रशासनिक सेवा जैसे जॉब काफ़ी अलग होते हैं. इस तरह के जॉब आपको निजी क्षेत्र में नहीं मिल सकते हैं. इनमें आप सीधे जनता से रूबरू होते हैं. आपको लोगों के बीच में जाना होता है. लोगों की समस्याओं को हल करना होता है. इसलिए ये जॉब मुझे काफ़ी अपील करती है.

आप क्या प्रशासनिक बदलाव लाना चाहते हैं?

गौरव अग्रवाल: जी हां, ये तो समय ही बदलाव का है. तो बदलाव तो आएंगे ही. हम भी एक नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. हमारे यहां प्रशासन से जुड़े कुछ मसले हैं. जैसे फ़ाइलें लटकी रहती हैं. कुछ काम नहीं होता. आमतौर पर प्रशासन की नागरिकों के प्रति सहानुभूति नहीं रहती. हमें इस माहौल को बदलना होगा.

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