ये है बीमारी
अब इस बच्ची को एपिडर्मोलिसिस बुलोसा (EB) का इलाज दिया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि वो बच्चे जो इस तरह की बीमारियों से पीड़ित होते हैं, उनको चिकित्सा के क्षेत्र में 'बटरफ्लाई चिल्ड्रेन' कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके शरीर की त्वचा तितली के पंख जितनी नाजुक हो जाती है। छूते ही वह शरीर से उतरने लगती है। यहां इस बच्ची के मामले में डॉक्टर्स जरा अचंभित रह गए, क्योंकि उसमें EB के लक्षण जन्म के तुरंत बाद नजर आने लगे थे।

बुखार से हुई थी शुरुआत
बता दें कि मा जी को 7 जुलाई को तेज बुखार हुआ और दवा लेने से वह तुरंत ही सही भी हो गई। हालांकि इसके अगले ही दिन अचानक से उसके मुंह, पैरों और हथेलियों पर फफोले नजर आने लगे। देखते ही देखते फफोलों ने पूरे शरीर को ढकना शुरू कर दिया। शुरू-शुरू में उसके माता-पिता ने उसकी त्वचा को बचाने के लिए ट्वायलट पेपर का इस्तेमाल किया। इसपर भी कुछ आराम न दिखने पर वह उसको तुरंत अस्पताल ले गए।

'बटरफ्लाई' ने छील दी इस लड़की की पूरी बॉडी स्किन,अब सुअर की चमड़ी 'ओढ़ाएंगे'
चढ़ाई गई है दूसरी त्वचा
अब मा जी के शरीर पर दूसरी त्वचा चढ़ाई जा रही है। यहां चौंकाने वाली बात ये है कि इस बच्ची को 930 स्क्वायर इंच के हिसाब से सुअर की त्वचा ओढ़ाई जा रही है। ये त्वचा उसके शरीर के लगभग एक तिहाई हिस्स्ो को कवर करेगी। डॉक्टर बताते हैं कि बच्ची का ऑपरेशन कामयाब रहा, लेकिन मा जी को अभी भी ICU में ही रखा गया है। ताकि उसे डॉक्टर्स की उचित देख-रेख दी जा सके। डॉक्टर्स कहते हैं कि अभी उसके शरीर पर त्वचा की अस्थाई कवरिंग दी गई है और एक सप्ताह के भीतर मा जी की इम्युनिटी सिस्टम के आधार पर ये बेकार हो जाएगी।

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डॉक्टर्स ने चेताया
ऐसे में डॉक्टर्स इस बात की आशा करते हैं कि ये त्वचा उसके घावों को भरने के लिए पर्याप्त समय देगी। बच्ची के मां-पिता को इस बात की चेतावनी दी गई है कि इसके बाद भी उसके साथ कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं। उसके लिए आगे भी बतौर मेडिकल फीस 140 हजार युआन के खर्च होने की संभावना है। मा जी को उनके बायोलॉजिकल मां-पिता से बहुत छोटी सी उम्र में ही गोद लिया गया था। बच्ची के बायोलॉजिकल मां-पिता ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और पहले से ही उनके दो बच्चे हैं। अब बच्ची की ऐसी गंभीर स्थिति को देखकर उसके गोद लेने वाले माता-पिता ने उसके असली माता-पिता को बुलाने और उनको सबकुछ बताने का मन बनाया है। ये सोचकर उन्होंने बच्ची के असली मां-पिता को बुलाकर उन्हें सबकुछ बता दिया है।

ऐसा कहती हैं मा जी की मां
अब बच्ची के दोनों ही पेरेंट्स हॉस्पिटल से आगे की खबर का बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे हैं। मा जी कि गोद लेने वाली मां यू गुआंगहोंग कहती हैं कि उनकी बच्ची जब सही होकर यहां से घर पहुंच जाएगी तो वो उसको उसकी बीमारी की गंभीरता के बारे में कुछ भी नहीं बताएंगी। उनका कहना है कि उन्होंने मा जी को 18 साल की उम्र में उसके असली मां-पिता के बारे में सबकुछ बताने का मन बनाया है। उसके बाद अगर वो अपने असली मां-पिता के पास जाने को कहेगी, तो वो उसे मना नहीं करेंगी।

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17 हजार में से किसी एक को होती है ये बीमारी
गौरतलब है कि EB नाम की ये बीमारी काफी रेयर होती है। करीब 17 हजार बच्चों में किसी एक बच्चे को ये होती है। EB से पीड़ित ज्यादातर लोग 30 साल की उम्र से पहले ही मर जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि परिस्थितियों की वजह ये शरीर में इंफेक्शन होने लगता है। ज्यादातर लोगों को स्किन कैंसर भी हो जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी में त्वचा पर पड़ने वाले फफोलों में इंफेक्शन के बाद इस बीमारी का कोई इलाज नहीं रह जाता है।

Courtesy By Mail Online

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