ग्रीन पार्क में 11 अक्टूबर को मैच के दौरान करीब 20, 500 दर्शक मैच देखेंगे। लेकिन उनके बैठने के लिए दर्शक दीर्घा की उचित मरम्मत नहीं की गई है। अब मैच की डेट पास आते ही आनन-फानन में कुछ जर्जर दर्शक दीर्घा की खस्ता हालत को 'रेनोवेशन' के नाम पर छिपाया जा रहा है। जिससे की मैच के दौरान हादसा होने की संभावना बहुत ज्यादा है।

दोनों स्थितियों में है अंतर

एक्सपर्ट मानते हैं कि दर्शकों के एक्साइटमेंट में होने की स्थिति में लोड बढ़ जाएगा। रिटायर्ड सिविल इंजीनियर वीके सिंह बताते हैं कि भीड़ के शांति से बैठने और खड़े होकर उछल-कूद करने या एक्साइटमेंट की स्थिति में काफी अंतर है। मैच के दौरान दर्शकों खासकर यूथ काफी उत्साहित रहते हैं। ऐसे में जिस दीर्घा की हालत गड़बड़ हो उसमें तो बिल्कुल भी रिस्क नहीं लिया जाना चाहिए। जिस दर्शक दीर्घा में 500 लोग बैठ सकते हैं और उसकी हालत जर्जर है। इस सिचुएशन में 100 लोगों के लिए भी उत्साह खतरनाक साबित हो सकता है। सुरक्षा के लिहाज से इसकी उचित मरम्मत हो या फिर वहां दर्शक बैठें ही नहीं।