मौजूदगी जताती

गूगल ने आज अपने होमपेज पर चित्रकार अमृता शेरगिल का शानदार डूडल बनाया है। इस डूडल में तीन महिलाओं की साधारण सी तस्वीर पेश की गई है। सबसे खास बात तो यह है कि यह होमपेज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया, जापान, केन्या, कजाकिस्तान, अर्जेंटीना, चिली, पेरू, आइसलैंड, पुर्तगाल, सर्बिया, स्लोवेनिया, और लिथुआनिया जैसे कई देशों में दिख रहा है। आज अमृता शेरगिल इस दुनिया में न होते हुए भी देश के बड़े संग्रहालयों में अपनी मौजूदगी जता रही हैं। 30 जनवरी 1913 को बुडापेस्ट (हंगरी) में जन्मीं अमृता के पिता उमराव सिंह शेरगिल सिख और मां  मेरी एंटोनी गोट्समन हंगरी मूल की यहूदी थी।

भारत में बसीं

इनके पिता संस्कृत-फारसी के विद्वान व नौकरशाह और एक मशहूर गायिका थीं। अमृता बचपन से ही कैनवास पर छोटे छोटे चित्र उकेरनी लगी थी। इसके बाद वह अपने माता पिता के साथ 1921 में शिमला आई लेकिन फिर वह मां के साथ इटली गई, लेकिन 1934 में फाइनली वह भारत लौटीं। इसके बाद यहां पर उनकी चित्रकारी का सफर काफी तेजी से चल पड़ा। 1935 शिमला फाइन आर्ट सोसायटी की तरफ़ से सम्मान, 1940 में बॉम्बे आर्ट सोसायटी की तरफ़ से पारितोषिक पुरस्कार से नवाजी गईं। इसके अलावा उन्हें कई सारे बड़े और पुरस्कार भी मिले।

खूबसूरत चित्रकारी

इसके अलावा उनके काम को एक राष्ट्रीय कला कोष घोषित किया गया। 28 वर्ष की उम्र में अचानक से बीमार होने के बाद इस दुनिया को अलविदा कहने वाली अमृता ने इस दुनिया को काफी खूबसूरत चित्रकारी दी। अमृता शेरगिल ने कैनवास पर भारत की एक बड़ी ही खूबसूरत तस्वीर को अपनी कला के बल पर उकेरा। भारतीय ग्रामीण महिलाओं को चित्रित करने के साथ भारतीय नारी कि वास्तविक स्थिति को उकेरना उनकी चित्रकारी की एक मिसाल है। हंगरी में जन्म व बचपन गुजारने के बाद भी उनकी चित्रकारी में भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा साफ दिखाई दी।

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