- डीडीयूजीयू में कई महीनों से पेंडिंग पड़े हुए हैं आरटीआई के मामले

- बहाना बनाकर जिम्मेदार महीनों रोके रहते हैं फाइल

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 'राइट टू इंफॉर्मेशन - आरटीआई' एक्ट की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। एक सूचना का जवाब देने में जिम्मेदार महीनों लगा दे रहे हैं। वहीं कुछ ऐसी सूचना भी हैं, जिनके जवाब ही नहीं दिए जा रहे हैं। हालत यह है कि अब तक यूनिवर्सिटी में पहुचंने वाली आरटीआई में 50 फीसद से ज्यादा केस पेंडिंग पड़े हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा पेंडिंग केसेज विभागों से जुड़े हुए हैं, जिनका जिम्मेदार जवाब देने में कतरा रहे हैं, या यूं कहें कि जवाब ही नहीं देना चाहते हैं।

छह माह में महज 286 अप्लीकेशन

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में आरटीआई अप्लीकेशन की कमी नहीं है। हर माह करीब 40 से 50 अप्लीकेशन पहुंच रही हैं। लेकिन निस्तारण के मामले में यूनिवर्सिटी काफी फिसड्डी साबित हो रहा है। आंकड़ों की बात करें तो छह माह के दौरान यूनिवर्सिटी में 286 लोगों ने आरटीआई के तहत जवाब मांगा है। मगर अब तक यूनिवर्सिटी ने सौ से सवा सौ के जवाब ही दिए हैं। बाकी मामले अब तक पेंडिंग पड़े हुए हैं। इसमें से कुछ सेक्शन में ही अटके हैं, जबकि कुछ विभागों से जवाब न आने की वजह से सॉर्ट आउट नहीं हो सके हैं।

इन दिनों शिक्षक भर्ती पर ही सवाल

यूनिवर्सिटी में पहले एग्जाम और नंबर से जुड़ी चीजों पर आरटीआई की भरमार रहा करती थी। लेकिन अब इनके मामलों में कमी आई है, जबकि हाल में हुई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया इन दिनों सभी जगहों के साथ आरटीआई की लिस्ट में भी सबसे ऊपर है। आने वाली आरटीआई में दो तिहाई सवाल सिर्फ शिक्षक भर्ती ही से पूछे गए हैं, जबकि यूनिवर्सिटी की एग्जाम प्रॉसेस और दूसरी चीजों से जुड़े चंद मामले ही आ रहे हैं।

आरटीआई स्टेटस

मंथ - 6

आरटीआई - 286

रिजॉल्व - 115-125

पेंडिंग - 150-60

वर्जन

आरटीआई के तहत सभी जवाब प्रमुखता और समयबद्धता से दिए जा रहे हैं। कुछ विभागों में पेंडिंग पड़े हुए हैं, जिन्हें विभागों से दोबारा मंगवाया गया है। जल्द ही सभी आरटीआई के जवाब दे दिए जाएंगे।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू