-शासन ने कैंपस में हॉस्टल के लिए जारी कर दिया था पांच करोड़ का बजट

-यूनिवर्सिटी की एग्जिक्युटिव बॉडी ने जमीन न देने का किया फैसला

-कैंपस में होने के बाद भी यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को नहीं मिलता फायदा

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में अब एससी-एसटी और ओबीसी कैटेगरी के लिए बनने वाला हॉस्टल नहीं बनेगा। यूनिवर्सिटी की सुप्रीम बॉडी एग्जिक्युटिव काउंसिल ने समाज कल्याण को इसके लिए जमीन देने से मना कर दिया है। सोमवार को वीसी प्रो। वीके सिंह की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में यह फैसला लिया गया। यूनिवर्सिटी के इस फैसले के बाद अब हॉस्टल के लिए जिम्मेदारों को दूसरी जगह जमीन तलाशनी होगी, जबकि इस मद में शासन ने पांच करोड़ रुपए पहले ही जारी कर दिए हैं। हॉस्टल अगर सिर्फ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के लिए बनाए जा रहे हैं, तो इस कंडीशन में कार्य परिषद इस पर विचार कर सकती है।

ग‌र्ल्स के लिए बनना है हॉस्टल

समाज कल्याण विभाग की ओर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की ग‌र्ल्स के लिए यूनिवर्सिटी कैंपस में हॉस्टल बनाया जाना है। इसके लिए शासन ने काफी पहले ही हरी झंडी दे दी थी। मगर यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों की मानें तो इस संबंध में किसी भी विभाग को अवगत करा दिया गया था कि यूनिवर्सिटी की सुप्रीम बॉडी एग्जिक्यूटिव काउंसिल के सामने मामले को रखा जाएगा और वहां से परमिशन मिलने के बाद ही यूनिवर्सिटी हॉस्टल के लिए जमीन देगी।

सिर्फ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के लिए नहीं है हॉस्टल

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में बनने वाले इस हॉस्टल में जो हॉस्ट‌र्ल्स है, वह सिर्फ यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ही रहेंगे, यह अभी तय नहीं है। वहीं अभी यह भी नहीं फाइनल हो सका है कि इसका कस्टोडियन कौन होगा?, यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को इसका फायदा होगा या नहीं?, हॉस्टल के वार्डन को रखने का अधिकार किसको होगा?, हॉस्टल एलॉटमेंट कौन करेगा? यह कुछ ऐसे पेंच हैं, जिसकी वजह से यूनिवर्सिटी ने इस मामले को कार्य परिषद में रखा था और यूनिवर्सिटी के लिए हॉस्टल न होने की वजह से इसको लेकर सहमति भी नहीं बन सकी है।

वर्जन

कार्यपरिषद में एससी-एसटी और ओबीसी के लिए मांगी गई जमीन का मामला रखा गया था। सिर्फ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के लिए न होने की वजह से कार्य परिषद ने जमीन देने से मना कर दिया है। सदस्यों का कहना है कि अगर यह केवल यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए होगा, तो इस पर विचार किया जा सकता है।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू