कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन पूजा साढ़े तीन पहर व्यापिनी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। दिनाँक 15 नवंबर 2020,रविवार को अमावस्या का मान प्रातः काल 10:37 बजे तक रहेगा तदोपरांत प्रतिपदा तिथि लगेगी जोकि पूरे दिन भोग करेगी। वेदों में इस दिन वरुण,इंद्र,अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस गाय- बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर,फूल माला,धूप,चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है।

गोवर्धन पूजा विधि
अन्नकूट एक प्रकार से सामुहिक भोज का आयोजन है।इस दिन प्रातः गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है।अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों,लताओं आदि से सजाया जाता है।शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा मे धूप,दीप,नैवेद्य,जल,फल,फूल,खील,बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है।गोवर्धन में ओंगा(अपामार्ग) अनिवार्य रूप से रखा जाता है।पूजा के उपरांत गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएँ उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं।परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य खील(जौ) लेकर चलते हैं।जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराते हुए तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।

अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ
गोवर्धनजी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाये जाते हैं।इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है फिर इसमें दूध,दही,गंगाजल,शहद,बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिये जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं। अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है, यदि प्रतिपदा में द्वितिया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन प्रातः तेल मलकर स्नान करना चाहिए। इस दिन संध्याकाल के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। इस दिन भगवान कारीगर भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। भगवान विश्वकर्मा, मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली