कानपुर (इंटरनेट-डेस्क)। भारत आर्थिक एवं व्यापारिक मामलों में अपनी स्थिति को मजबूत करने में सफल होगा। ग्रहों के अनुसार राहु, केतु एवं शनि की स्थिति अभी मजबूत बनी हुई है जिससे राजनीतिक स्तर पर उतार-चढ़ाव इस वर्ष रहेगा। सामाजिक स्तर पर भी विभिन्न वर्गों के बीच मतान्तर, जातीय उन्माद एवं वर्ग संघर्ष जैसी स्थितियां दस्तक दे सकती है। इसके अलावा भारत अपने राष्ट्रीय मुद्दों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मंगल के प्रभाव के कारण ले जाने में सफल होगा अपनी साख के मजबूती से विश्व बिरादरी के समक्ष रखने में भी सफल होगा।वर्तमान में राहु केतु एवं शनि लम्बे समय तक मजबूत रहेगे इसलिए कोरोना महामारी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से नवम्बर 2021 तक बनी रह सकती है।

आर्थिक एवं व्यापारिक मामलों की स्थिति

भारत की कुण्डली के अनुसार आयेश,कर्मेश एवं भाग्येश की स्थिति मजबूत है। इसका असर स्टाॅक मार्केट में भी देखने को मिलेगा। भारत आर्थिक एवं व्यापारिक मामलों में अपनी स्थिति को मजबूत करने में सफल होगा लेकिन राहु,केतु शनि की मजबूत स्थिति के कारण विरोध एवं संघर्षों के बीच कड़ी मेहनत करके मंगल देश एवं देश की जनता को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रेरित करता रहेगा। इस वर्ष औद्योगिक एवं व्यापारिक क्षेत्रों में अनेक परिवर्तन एवं भविष्य को ध्यान में रखकर सरकार अनेक योजनायें चलाने का प्रयास करेगी। मंगल जनता को सक्रिय करेगा लेकिन राहु,केतु शिथिलता वाले ग्रह है जो कि पुरानी परिपार्टी पर धीमे-धीमे चलने के लिए प्रेरित करने वाले ग्रह है। नौकरशाह एवं मठाधीश आराम एवं कम परिश्रम में अच्छी आय बनी रहे इसके हिमायती रहेगें। इस वर्ष उत्साही एवं आलसी लोगों के बीच यह संघर्ष चलेगा लेकिन मजबूत मंगल अत्यधिक परिश्रम कराते हुए आगे ले जाने के लिए निरन्तर प्रेरित करता रहेगा।संघर्ष एवं परिश्रम को प्राथमिकता देगा।

राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिति

ग्रहों के अनुसार राहु, केतु एवं शनि की स्थिति अभी मजबूत बनी हुई है जिससे राजनीतिक स्तर पर उतार-चढ़ाव इस वर्ष रहेगा। सामाजिक स्तर पर भी विभिन्न वर्गों के बीच मतान्तर, जातीय उन्माद एवं वर्ग संघर्ष जैसी स्थितियां दस्तक दे सकती है। सरकार के निर्णयों से विरोधी पार्टियाँ भ्रम की स्थितियाँ बनाने में अहम भूमिका निभायेगीं। कुछ अपने मन्तव्य में सफल भी होगीं। सरकार जनता के उत्थान के लिए निरन्तर प्रयास करेगी लेकिन क्रूर ग्रहों की मजबूत युति के कारण राजनीतिक सामाजिक एवं देश को कमजोर करने वाली शक्तियाँ सक्रिय बनी रहेगीं। इनकी यह स्थिति नये वर्ष के आगमन तक बनी रहेगी। हिन्दु पंचांग के अनुसार नये वर्ष की शुरुआत नवरात्री से मानी जाती है। इस नये वर्ष का राजा मंगल होगा और सेनापति भी मंगल होगा। मंगल नये-नये सुधारवादी आर्थिक क्षेत्र को ऊँचाई पर ले जाने वाले बिल पारित कराने में अहम भूमिका निभायेगा। मंगल साहसी ग्रह है इसलिए सरकार बिना भय के लगातार नये-नये बिल लाने एवं उसे पारित कराने में सफल हो सकती है। मंगल सरकार का हर क्षेत्र में सहयोग करेगा। सरकार निडर होकर आगे बढ़ती रहेगी। मंगल के मजबूत होने से राहु, केतु एवं शनि कमजोर होगें। आसुरी शक्तियाँ देश को तोड़ने या देश में आपसी सामंजस्य में खलल डालने के प्रयास में सफल नहीं हो पायेगीं क्योंकि मंगल अपनी मजबूत स्थिति के कारण राहु, केतु एवं शनि पर अकेले दबाव बनाने में सफल होगा। सामाजिक विषमताओं एवं भ्रम की स्थितियों के मायाजाल को भी मंगल काटने की शक्ति प्रदान करता रहेगा। देश की राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिति को जनता समझने में सफल होगी। भ्रम की स्थितियां कम होगीं।

राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिज्ञ स्थिति

भारत अपने राष्ट्रीय मुद्दों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मंगल के प्रभाव के कारण ले जाने में सफल होगा अपनी साख को मजबूती से विश्व बिरादरी के समक्ष रखने में भी सफल होगा। भारत की कूटनीतिज्ञ स्थिति मजबूत होगी। भारत अपनी साख को ध्यान में रखते हुए विश्व के अन्य देशों से जुड़ने में सफल होगा। कई मामलों में उसे सफलता भी मिल सकती है। भारत की साख विश्वस्तर पर बढ़ेगी। मंगल अपने साहस एवं आत्मबल से भारत को अपनी पहचान बनाने में अहम भूमिका निभायेगा। पड़ोसी देशों के साथ कूटनीति भी सफल होगी। अपने देश की विचारधारा एवं कर्तव्यनिष्ठा के साथ विश्वस्तर पर अपनी पहचान बनाने में भारत सफल होगा। विश्व के देशों के साथ गठबंधन को निभाते हुए अपनी स्मिता को नई ऊंचाई पर ले जाने में देश की कूटनीतिज्ञ स्थिति विश्वस्तर पर मजबूत होगी। भारत को एक मजबूत एवं महत्वपूर्ण देश के रुप में स्वीकार भी किया जायेगा। मंगल के साथ इसमें शनि की भी भूमिका अहम है शनि कूटनीति का प्रबल कारक ग्रह माना जाता है। शनि गोचर से अपने घर में है और मजूबूत स्थिति में है इसलिए कूटनीतिक मामलों में देश सफल होगा।

भारत की व्यापारिक एवं आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी

मंगल, गुरु,शनि की स्थिति मजबूत है। मंगल साहस देता है और आगे बढ़कर जोखिम उठाते हुए अन्य देशों के साथ साहसपूर्ण समझौते करने की शक्ति प्रदान करता है। गुरु सूझ-बूझ के साथ नीतियाँ बनाने और अपने नीतियों के अनुसार दूसरे देशों को आकर्षित करने का भाव भी पैदा करता है। शनि बड़ी सूझबूझ से कूटनीति का सहारा लेकर देश के उद्देश्यों को पूर्ण करने की युति भी देता है। इन्हीं ग्रहों की मजबूत स्थिति के कारण भारत विश्व के देशों के साथ ताल-मेल बनाने में सफल होगा। विरोधी देशों को विश्व बिरादरी के सहयोग से नियन्त्रित करेगा। अपने व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए भारत आगे बढ़ने में सफल होगा।विश्वस्तर पर बड़ी पहचान बनायेगा। आयात-निर्यात के अन्तर को भी कम करने में सफल होगा। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा। भारत की व्यापारिक एवं आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। यह वर्ष ग्रहों एवं नक्षत्रों की चाल के अनुसार ऐसा परिदृश्य बनायेगा जिसमें भारत की साख बढ़ेगी। यहां के नागरिक भी आगे बढेगें। रोजगार के क्षेत्र में यह वर्ष ज्यादा अनुकूल रहेगा लेकिन अभी वर्ष के कुछ महीनों तक सावधानी से आगे बढ़ने का समय है। नये विक्रम संवत की शुरुआत से स्थितियां मजबूत होने लगेगीं। वर्ष का मध्य आते-आते अशुभ ग्रहों का प्रभाव क्षीण होने लगेगा। देश की स्थिति मजबूत होगी। देश बड़ी योजना बनाने एवं बड़े कार्य करने में सफल होगा। ग्रहों का सहयोग मिलेगा। भारत का अशुभ चाहने वाले परास्त होगें और भारत उन्नति के शिखर की ओर बढ़ने लगेगा।

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