हरिद्वार (एएनआई)। हरिद्वार में होने वाले 'कुंभ मेला 2021' के लिए तैयारियां हो चुकी हैं। गुरुवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर पहला पवित्र स्नान है। हरिद्वार को बहुत ही पवित्र माना जाता है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि कोविड -19 नियमों के मुताबिक यहां पर पूरी व्यवस्था की गई है। उत्तराखंड के हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और देहरादून जिलों में फैले मेला क्षेत्र में कई स्थानों पर हैंड सैनिटाइटर स्टॉल लगाए गए हैं। वहीं कुंभ मेला अधिकारी, दीपक रावत ने कहा पहला पवित्र स्नान 'शिवरात्रि' पर है और इसके लिए पूरी तैयारी की गई है।

कोविड-19 नियमाें का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई

सभी मार्गों पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। तमाम जगहों पर चेंजिंग रूम बनाए गए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में वाॅलंटियर क्षेत्र को साफ करते रहेंगे क्योंकि मेले के दौरान घाटों और ट्रैफिक क्लीयरेंस सहित कुछ काम एक साथ करने की जरूरत है। भक्तों को मेला के वेब पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक होगा और ई-पास जारी करने से पहले उनके दस्तावेजों को चेक किया जाएगा। राज्य के मुख्य सचिव ओम प्रकाश के मुताबिक कुंभ मेला हरिद्वार में कोविड-19 नियमाें का उल्लंघन करने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने महामारी के कारण इस साल कुंभ को 30 दिनों तक सीमित करने का फैसला किया है।

इसलिए हर 12 साल में इन 4 जगहों पर कुंभ मनाया जाता

कुंभ की उत्पत्ति बहुत पुरानी है और उस काल के समय की है जब समुद्र मंथन के दौरान अमरता को प्रदान वाला कलश निकला था। एक अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इस कलश के लिए राक्षसों और देवताओं के बीच भयंकर युद्व हुआ था। अमृत कलश को असुरों से बचाने के लिए इसकी सुरक्षा ब्रहस्पति,सूर्य,चंद्र और शनि को सौपीं गई थी। चार देवता असुरों से अमृत कलश बचाकर भागे। इस दौरान असुरों ने देवताओं का पीछा 12 दिन और रातों तक किया। पीछा करने के दौरान देवताओं ने कलश को हरिद्वार,प्रयाग,उज्जैन और नासिक में रखा। ऐेसे में इस पवित्र समारोह की स्मृति में ही हर 12 साल में इन 4 जगहों पर कुंभ मनाया जाता है।

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