रांची (ब्यूरो)। इसकी वजह सीटों को लेकर दावेदारी है। सीट शेय¨रग फार्मूले के तहत झारखंड मुक्ति मोर्चा को 43 सीटें दी गई है लेकिन मोर्चा ने अभी तक 18 प्रत्याशियों के नाम का ही एलान किया। इसकी बड़ी वजह वामदलों की दावेदारी है। झामुमो ने वामदलों को विपक्षी गठबंधन में जगह देने की वकालत की है। अलबत्ता भाकपा ने अपनी अलग राह चुनी है लेकिन भाकपा (माले) और मासस को अभी भी उम्मीद बंधी है। हालांकि दो सीटें देने के लिए झामुमो तैयार है, लेकिन इन दलों की डिमांड चार सीटों निरसा, सिंदरी, बगोदर और धनवार विधानसभा सीटों पर समर्थन की है। निरसा और सिंदरी सीट पर मासस प्रत्याशी देना चाहता है और बगोदर एवं धनवार सीट पर भाकपा (माले) की दावेदारी है। झामुमो नेतृत्व इसे लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है।

दावेदारी पर हंगामा

उधर टिकटों की दावेदारी को लेकर कांग्रेस दफ्तर में शुक्रवार को हंगामा हुआ। विरोध हटिया और रांची सीट पर दावेदारी को लेकर था। रांची सीट गठबंधन के तहत झामुमो को दी गई है जबकि हटिया में अजयनाथ शाहदेव प्रत्याशी बनाए गए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के दफ्तर पहुंचने के बाद नाराज कार्यकर्ताओं ने उनके समक्ष जमकर नारे लगाए। इससे दफ्तर में अफरातफरी मची रही। विरोध कर रहे लोगों ने आरोप लगाया कि प्रत्याशियों की घोषणा में पक्षपात हुआ है। उन्होंने प्रदेश प्रभारी को अपनी भावनाओं से भी अवगत कराया।

विधायकों के टिकट पर भी आफत

झामुमो के सीटिंग विधायकों की टिकटों पर तलवार लटक रही है। इसमें चक्रधरपुर के विधायक शशिभूषण सामड और तोरपा के विधायक पौलुस सुरीन शामिल हैं। इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा को झामुमो ने होल्ड कर रखा है। बताते हैं कि यहां नए चेहरे पर दांव खेला जाएगा। वहीं संताल परगना की 18 सीटों पर झामुमो ठोक-बजाकर प्रत्याशी देना चाहता है। यही वजह है कि अंतिम चरण में होने वाले मतदान के इलाके में प्रत्याशियों की घोषणा में देरी की जा रही है। अभी यह भी तय नहीं हो पाया है कि हेमंत सोरेन दो सीटों दुमका और बरहेट से चुनाव लड़ेंगे या किसी अन्य सीट से भाग्य आजमाएंगे। कुछ भाजपा नेताओं के पार्टी में शामिल होने के बाद ही झामुमो प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देगा।

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