- टीचर को स्कूल में तैनाती की हो रही आयोग से मांग

- तो कोई कर रहा खड़ंजा लगवाने की गुजारिश

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW:

केस-1.

मेरे पति मुझे प्रताडि़त करते हैं। वे सरकारी नौकरी करते हैं और पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। प्लीज मेरी मदद करें।

केस 2.

मेरे गांव के स्कूल में आचार संहिता लगने के बाद भी टीचर बच्चों को पढ़ाने नहीं आती। प्लीज ये काम करवा दीजिए।

कुछ ऐसी ही आधारहीन शिकायतों से मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश कार्यालय के अफसर जूझ रहे हैं। हर रोज तकरीबन 800 से 1200 तक आने वाली ऐसी शिकायतों का अंबार बढ़ता जा रहा है। जनपद स्थित कार्यालय के शिकायत प्रकोष्ठ में रोजाना 40 से अधिक कर्मचारियों अधिकारियों की टीम इनके निस्तारण में लगी है। लेकिन 95 फीसद से अधिक शिकायतों को अधिकारी 'नो एक्शन नीडेड' लिखकर डिस्पोज कर रहे हैं। क्योंकि इन शिकायतों का आयोग से कोई मतलब नहीं है और आयेाग के अधिकारी भी इनसे परेशान नजर आ रहे हैं।

आयोग नहीं कर सकता है कार्रवाई

चुनाव आयोग के अधिकारियों की माने तो 95 परसेंट से अधिक शिकायतें आधारहीन हैं और इनका चुनाव आयोग से लेना देना नहीं है। ये शिकायते काल सेंटर, ईसीआई पोर्टल, समाधान ऐप और चुनाव आयोग के द्वारा या जिलों से फारवर्ड होकर पहुंच रही हैं। जबकि चुनाव आयोग के पास ऐसी ही शिकायतें की जानी चाहिए जिनका चुनाव आचार संहिता प्रभावित हो रही है। ये शिकायत अधिकारी से लेकर प्रत्याशियों के खिलाफ होनी चाहिए। लेकिन उनका कोई आधार हो। ज्यादातर शिकायते चुनाव आचार संहिता से संबंधित नहीं आ रही हैं और जो आ रही हैं उनमें भी कोई दम नहीं है।

निगम नहीं बना रहा सीवरलाइन

शिकायतकर्ताओं में कोई लेखपाल द्वारा जमीन न नापे जाने से परेशान है तो किसी के गांव के स्कूल में टीचर नहीं आ रही। आंगन बाड़ी कार्यकत्रियों से लेकर सीवर बनाने की मांग को लेकर शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। तो किसी का हसबैंड उन्हें प्रताडि़त कर रहा है और वे आयोग से अपेक्षा रखती हैं कि पति के खिलाफ कार्रवाई करे। किसी के मोहल्ले में ट्रांसफार्मर फुंक गया है तो किसी के घर पर चोरी की एफआईआर नहीं लिखी जा रही है। ऐसी शिकायतों की लंबी लिस्ट है। नगर निगम लखनऊ के लिए राम प्रताप ने शिकायत भेजी है कि आचार संहिता लगने के बावजूद उनके मोहल्ले में सीवर लाइन नहीं डाली जा रही है।

हर रोज 1000 शिकायतें

चुनाव आचार संहिता लगने के बाद से चुनाव आयोग को हर रोज लगभग 800 से 1000 अलग अलग प्रकार की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। चुनाव आयोग में उन्हीं मामलों की शिकायतें की जा सकती हैं जिनमें चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा हो। जबकि ट्रांसफर पोस्टिंग पर आयोग ने ही रोक लगा रखी है। साथ ही अन्य समस्याओं से आयोग से लेना देना नहीं है।

डीएम से लेकर सीएम तक

आयोग के अधिकारियों के अनुसार जो शिकायतें चुनाव आचार संहिता को लेकर हैं उनमें सभी जिलों के डीएम से लेकर सीएम तक की शिकायतें की गई हैं। ज्यादातर में यही शिकायत होती है कि वे सत्तारूढ़ दल के फेवर में काम कर रहे हैं और उन्हें हटा दिया जाए। लेकिन बिना सबूतों, या ठोस आधार पर आयोग ऐसे ही कार्रवाई नहीं कर सकता। जिसके कारण ऐसी शिकायतों को बिना किसी कार्रवाई के डिस्पोज किया जाता है।

अब तक प्राप्त हुई शिकायतें

माध्यम--शिकायतें--निस्तारित संख्या

काल सेंटर से -30667--30287

ईसीआई पोर्टल-1096--1055

समाधान--6200--5400

कोट--

आयोग में निर्वाचन या आचार संहिता उल्लंघन संबंधी शिकायतें ही आनी चाहिए। लोगों से अपील है कि वे आपसी रंजिश या अन्य लोकल शिकायतों को आयोग के समक्ष न लाएं। जो शिकायतें मिल रही हैं ज्यादातर का आयोग से मतलब नहीं है और इससे समस्याओं के डिस्पोजल की क्वालिटी पर असर पड़ता है।

- डॉ। बलकार सिंह, एडीशनल, सीईओ