शोधकर्ताओं ने ऐसे पता लगाया

बता दें कि केप्लर -90 एक सूर्य की तरह ही दिखने वाला तारा है जो पृथ्वी से 2,545 प्रकाशवर्ष दूर है। गूगल के एआई ने नासा के केप्लर स्पेस टेलीस्कॉप से ​​डेटा का उपयोग करते हुए एक्सप्लैनेट्स का पता लगाया। इसके अलावा कंप्यूटर ने केप्लर डेटा के उदाहरणों को दूरबीन के जरिये हमारे सौर मंडल के बाहर ग्रहों के संकेतों को दर्ज किया और उसे एक्ज़ोप्लैनेट का नाम दिया। जानकारी के मुताबिक इन ग्रहों की पहचान तब हुई जब शोधकर्ता क्रिस्टोफर श्लुए और एंड्रयू वेंडरबर्ग ने कंप्यूटर में केप्लर द्वारा लिखी गई एक्सप्लानेट्स की प्रकाश को पहचान करने की क्षमता सेट की। इसके बाद जब कंप्यूटर ने ग्रहों को ट्रांसमिट करना शुरू किया, तब स्टार के प्रकाश में मामूली बदलाव देखा गया।

पहले भी मशीन लर्निंग का उपयोग

बता दें कि पहले मशीन लर्निंग का इस्तेमाल केप्लर डेटाबेस को खोजने में किया जा चुका है। बता दें कि यह शोध यही दर्शाता है कि न्यूरल नेटवर्क दुनिया के कुछ कमजोर संकेतों को खोजने का एक आशाजनक उपकरण हैं। ग्रहों को खोज निकालने वाले टीम में शामिल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शैलू ने कहा कि एक्ज़ोप्लैनेट को पूरी डेटा के साथ खोज निकालना ज्यादा मुश्किल नहीं था, इसकी तैयारी पहले से ही थी।

खोज के महत्वपूर्ण अंश्ा

सबसे पहले, शोधकर्ताओं ने केप्लर एक्ज़ोप्लैनेट कैटलॉग के 15,000 पूर्व-संशोधित संकेतों के एक सेट का उपयोग कर एक्ज़ोप्लैनेट को ट्रांसमिट करने के लिए न्यूरल नेटवर्क को तैयार किया। इसके बाद परीक्षण सेट में,न्यूरल नेटवर्क ने सही समय पर सही ग्रहों और झूठी सकारात्मकता का 96 प्रतिशत तक का पता लगाया। इसके बाद, न्यूरल नेटवर्क ने ट्रांसमिटिंग एक्सप्लेनेट के पैटर्न का पता लगाने के लिए "लर्न्ड" का इस्तेमाल किया। फिर शोधकर्ताओं ने अपने मॉडल को 670 स्टार सिस्टम में कमजोर संकेतों की खोज करने का निर्देश दिया, जो पहले से ही जानें मानें ग्रह थे।

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